शैतान कौन है? बहुत से लोगों का विश्वास है कि वह केवल एक काल्पनिक व्यक्ति है, परन्तु बाइबल कहती है कि उसका अस्तित्व वास्तव में है और वह आपको धोखा देने और आपके जीवन को नष्ट करने के लिए दृढ़ है। दरअसल, यह बुद्धिमान परन्तु क्रूर शातिर उससे कहीं अधिक है जितना आपको बताया गया है। इस दुनिया में दुख और पीड़ा बढ़ाने के लिए वह लोगों, परिवारों, और चर्चों और यँहा तक कि पूरे राष्ट्रों को अपने जाल में फँसाता जा रहा है। अँधेरे के इस राजकुमार के बारे में और आप उस पर विजय हासि ल करने के लिए यँहा बाइबल के अद्धभुत तथ्य दिए गए हैं!

1. With whom did sin originate?1. किसके साथ पाप उत्पन्न हुआ?

"शैतान आरम्भ से ही पाप करता आया है" (1 यूहन्ना 3:8)। "वह बड़ा अजगर, अर्थात वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है" (प्रकाशितवाक्य 12:9)

उत्तर: शैतान, जिसे इब्लीस भी कहा जाता है, पाप का जनक है। बाइबिल के बिना, दुष्टता की उत्पत्ति अस्पष्ट रह जाएगी।

Satan was living in heaven when he sinned. His name was Lucifer, which means "Day Star."2. पाप करने से पहले शैतान का नाम क्या था? वह कहाँ रह रहा था?

"हे भोर के चमकने वाले तारे, तु कैसे आकाश से गिर पड़ा!" (यशायाह 14:12)। "[यीशु] ने उनसे कहा, 'मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था'" (लूका 10:18)। "तू परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रहता था" (यहेजकेल 28:14)।

उत्तर: शैतान का नाम लूसिफर था, और वह स्वर्ग में रहता था। यशायाह 14 में "बाबुल के राजा" और यहेजकेल 28 में "सोर के राजा" भी लूसिफर के प्रतीक के रूप में दर्शाए गए हैं।

3. लूसिफर की उत्पत्ति क्या थी? बाइबल उसका वर्णन किस प्रकार करती है?

"तू सिरजा गया था" (यहेजकेल 28:15)। "तू तो उत्तम से भी उत्तम है; तू बुद्धि से भरपूर और सर्वांग सुन्दर है। ... तेरे पास ... सब भाँति के मणि और सोने के पहिरावे थे। ... तेरे डफ और बाँसुलियाँ तुझी में बनाई गई थीं; जिस दिन तू सिरजा गया था, उस दिन वे भी तैयार की गई थीं। ... जिस दिन तक तुझमें कुटिलता न पाई गई, उस दिन तक तू अपनी सारी चाल चलन में निर्दोष रहा।" (यहेजकेल 28:12, 13, 15)। "तू छानेवाला अभिषिक्त करूब था ... तू परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर था; तू आग के सरीखे चमकनेवाले मणि यों के बीच चलता फिरता था" (यहेजकेल 28:14)।

उत्तर: अन्य सभी स्वर्गदूतों के ही तरह लूसिफर भी सिरजा गया था (इफिसियों 3:9)। लूसिफर एक "छानेवाला" करूब, या स्वर्गदूत था। छानेवाला एक स्वर्गदूत परमेश्वर के सिंहासन के बाईं ओर खड़ा रहता है और दूसरा दाईं ओर रहता है (भजन संहिता 99:1)। लूसिफर इन बहेद गौरवान्वित स्वर्गदूतों में से एक था और एक अगुआ था। लूसिफर की संदुरता निर्दोष और विस्मयकारी थी। उसका ज्ञान उत्तम था। उनकी चमक आश्चर्यजनक थी। यहेजकेल 28:13 यह संकेत करता है कि वह विशेष रूप से एक उत्कृष्ट संगीतकार बनने के लिए रचा गया था। कुछ विद्वानों का मानना है कि स्वर्गदूतों की गायक मंडली का नेतृत्व करता था।

4. लूसिफर के जीवन में ऐसा क्या बदलाव हुआ जिसके कारण वह परमेश्वर के विरुद्ध हो गया? उसने कौन सा पाप किया?

"सुन्दरता के कारण तेरा मन फूल उठा था; और वैभव के कारण तेरी बुद्धि बिगड़ गयी थी।" (यहेजकेल 28:17)। "तू मन में तो कहता था, ‘मैं अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊँचा करूँगा; ... मैं परम प्रधान के तुल्य हो जाऊँगा’" (यशायाह 14:13, 14)।

उत्तर: लुसिुफर के मन में गर्व, ईर्ष्या और असंतोष उत्पन्न हुआ। वह शीघ्र ही परमेश्वर को बेदखल करने की इच्छा और माँग करने लगा कि हर कोई परमेश्वर की बजाय उसकी उपासना करें।

ध्यान दें: उपासना इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? यह परमेश्वर और शैतान के बीच चल रहे संघर्ष में महत्वपूर्ण कारक है। हम खुश और परिपूर्ण होने के लिए बनाए गए हैं जब हम सिर्फ परमेश्वर की उपासना करते हैं। स्वर्ग के स्वग्णदूतों की भी उपासना नहीं की जानी चाहिए (प्रकाशितवाक्य 22:8, 9)। शैतान सिर्फ स्वार्थ से ही परमेश्वर को मिलने वाली उपासना की इच्छा करने लगा। सदियों बाद, जब उसने जंगल में यीशु की परिक्षा ली, तब भी उपासना उसकी केंद्रीय इच्छा और एक प्रमुख परिक्षा थी (मत्ती 4:8-11)। अब, इन अंतिम दिनों में, जैसा कि परमेश्वर सभी लोगों को उसकी उपासना करने के लिए कहता है (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7), यह शैतान को परेशान करता है कि वह लोगों को अपनी उपासना करने के लिए मजबूर करने की कोशिश करेगा या अन्यथा मारे जाएँ (प्रकाशितवाक्य 13:15)।

हर कोई किसी व्यक्ति या चीज़ की पूजा करता है: शक्ति, प्रतिष्ठा , भोजन, खुशी, संपत्ति , आदि । लेकिन परमेश्वर कहता है, "तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना" (निर्गमन 20:3)। लूसिफर की ही तरह, हमारे पास भी एक विकल्प है कि हम किस की उपासना करते हैं। अगर हम निर्माता के अलावा किसी दूसरे की या अन्य चीज की उपासना करना चुनते हैं, तो वह हमारी पसंद का सम्मान करेगा, लेकिन हमें उसके खिलाफ माना जाएगा (मत्ती 12:30)। यदि परमेश्वर की अपेक्षा कुछ भी या कोई भी व्यक्ति हमारे जीवन में पहला स्थान प्राप्त करता है, तो हम शैतान के कदमों पर अनुसरण करने लगेंगे। क्या परमेश्वर आपके जीवन में पहले स्थान पर है - या आप शैतान की सेवा कर रहे हैं? यह एक गंभीर सवाल है, है ना?

5. What happened in heaven as a consequence of Lucifer’s sin?5. लूसिफर के पाप के परिणामस्वरूप स्वर्ग में क्या हुआ?

"फिर स्वर्ग में लड़ाई हुई,मिकाइल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर और उसके दूत उससे लड़े, परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उनके लिए फिर जगह न रही। तब वह बड़ा अजगर, अर्थात वही पुराना साँप जो इब्लीस और शैतान कहलाता है और सारे संसार का भरमाने वाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया, और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।" (प्रकाशितवाक्य 12:7-9)।

उत्तर: लूसिफर ने एक तिहाई स्वर्गदूतों को भ्रमित किया (प्रकाशितवाक्य 12:3, 4) और स्वर्ग में एक विद्रोह का कारण बना। परमेश्वर के पास लूसिफर और अन्य गिराए गए स्वर्गदूतों को बाहर निकालने की अपेक्षा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि लूसिफर का उद्देश्य परमेश्वर के सिंहासन को हड़पना था, भले ही इसके लिए हत्या ही क्यों न करना हो (यूहन्ना 8:44)। स्वर्ग से निष्कासन के बाद, लूसिफर जिसका अर्थ है "विरोधी," और शैतान जिसका अर्थ "निंदा करने वाला" कहा गया। शैतान का अनुसरण करने वाले स्वर्गदूतों को दुष्ट आत्मा कहा गया।

Satan's headquarters is the earth. He hates human beings and aims to hurt God by destroying you.6. शैतान का वर्तमान मुख्यालय कहाँ है? वह लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है?

"यहोवा ने शैतान से पूछा, 'तू कहाँ से आता है?' शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, 'इधर-उधर घुमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ''' (अय्यूब 2:2)। "हे पृथ्वी , और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है, क्योंकि जानता है कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है" (प्रकाशितवाक्य 12:12)। "क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किसको फाड़ खाये" (1 पतरस 5:8)

उत्तर: व्यापक विश्वास के विपरित शैतान का मुख्यालय धरती है, नरक नहीं। परमश्वेर ने आदम और हव्वा को पृथ्वी पर प्रभुत्व दिया (उत्पत्ति 1:26)। जब उन्होंने पाप किया ,वे शैतान को इस प्रभुत्व को खो बैठे। (रोमियों 6:16), जो पृथ्वी का शासक या राजकुमार बन गया (यूहन्ना 12:31)। परमश्वेर के स्वरूप में बनाए गए मनुष्य को शैतान  तुच्छ जानता है। चँकूि वह सीधे परमश्वेर को नुकसान नहीं पहुँचा सकता है, इसलिए वह अपना क्रोध पृथ्वी पर परमेश्वर की संतानों पर उतारता है। वह एक द्वेषपूर्ण हत्यारा है जिसका उद्देश्य आपको नाश करना और इस प्रकार, परमेश्वर को चोट पहुँचाना है।

7. When God created Adam and Eve, what did He ask them not to do? What did He say would be the result of disobedience?7. जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को बनाया, तो उसने उनसे क्या नहीं करने को कहा? उसने आज्ञा उल्लंघन का क्या परिणाम बताया?

"पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा" (उत्पत्ति 2:17)।

उत्तर: आदम और हव्वा को अच्छे और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से नहीं खाने को कहा गया था। उस पेड़ के फल खाने का दंड मृत्यु था।

ध्यान दें: याद रखें कि परमेश्वर ने अपने हाथों से आदम और हव्वा को बनाया और उन्हें एक खूबसूरत बगीचे में रखा जहाँ वे हर तरह के पेड़ (उत्पत्ति 2:7-9) से खाने का आनदं ले सकते थे - सिवाय एक पेड़ के। यह परमेश्वर का उन्हें चुनाव करने देने का दयालु तरीका था। परमेश्वर पर भरोसा करके और मना किये गए पेड़ के फल को न खाकर, वे स्वर्ग में हमेशा के लिए जीते रहते । शैतान की बात को सनुकर, उन्होंने सम्पूर्ण जीवन के स्रोत – परमेश्वर, से दूर भागने का फैसला लिया, और, स्वाभाविक रूप से , मृत्यु का अनभुव किया।

8. शैतान ने हव्वा को कैसे धोखा दिया? उसने उसे क्या झूठ बोला?

"यहोवा परमेश्वर ने जि तने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था; उसने स्त्री से कहा, "क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी वृ क्ष का फल न खाना’?” ... तब सर्प ने स्त्री से कहा, “तुम नि श्चय न मरोगे! वरन् परमेश्वर आप जानता है कि जि स दि न तुम उसका फल खाओगे उसी दि न तुम्हा री आँखें खुल जाएँगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे” (उत्पत्ति 3:1, 4, 5)।

उत्तर: हव्वा को धोखा देने के लिए शैतान ने एक सर्प का प्रयोग किया जो परमेश्वर द्वारा बनाए गए सब पशुओं में से सबसे बुद्धिमान और सबसे खूबसूरत था। कुछ विद्वानों का मानना है कि मूल रूप से सर्प के पंख थे और वह उड़ता था (यशायाह 14:29; 30:6)। याद करें, जब तक परमेश्वर ने उसे शाप नहीं दिया था, तब तक वह रेंगता नहीं था (उत्पत्ति 3:14)। शैतान के झूठ थे: (1) तुम मरोगे नहीं, और (2) फल खाने से तुम बुद्धिमान हो जाओगे। शैतान, जिसने झूठ का आविष्कार किया (यूहन्ना 8:44), उसने सत्य को उन झूठ के साथ मिला दिया जो उसने हव्वा से कहा था। वे झूठ जिनमें कुछ सच्चाई मिली हो, सबसे प्रभावशाली धोखे हैं। यह सच था कि पाप करने के बाद वे "बुराई को जानने लगते"। प्रेम में, परमेश्वर ने उन्हें बुराई का ज्ञान नहीं दिया था, जिसमें दुःख, तकलीफ़, पीड़ा और मृत्यु शामिल है। शैतान ने बुराई के ज्ञान को आकर्षक रूप में दिखाया, जो की परमेश्वर के चरित्र को गलत प्रस्तुत करने के लिए झूठ बोल रहा था, क्योंकि वह जानता है कि अगर लोग उसके चरित्र को गलत समझते हैं तो वे एक स्नेही परमेश्वर से दूर होने की संभावना करेंगे।

9. क्यों फल का एक टुकड़ा खाना इतनी बुरी चीज थी कि आदम और हव्वा को बगीचे से निकल दिया गया था?

"इसलिए जो कोई भलाई करना जानता है और ऐसा नहीं करता, उसके लिए यह पाप है" (याकूब 4:17)। "जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है, और पाप तो व्यवस्था का विरोध है" (1 यूहन्ना 3:4)। "फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हममें से एक के समान हो गया है: इसलिए अब, ऐसा न हो कि वह अपना हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खाले और सदा जीवित रहे” इसलिए आदम को उसने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिए अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया" (उत्पत्ति 3:22, 24)।

 

Answer

उत्तर: वर्जित फल को खाना इसलिए पाप था क्योंकि यह परमेश्वर की कुछ ही आवश्यकताओं में से एक को अस्वीकार करना था। यह परमेश्वर की व्यवस्था और उसके अधिकार के विरुद्ध खुला विद्रोह था। परमेश्वर के आदेश को अस्वीकार करके, आदम और हव्वा ने शैतान का अनुसरण करने का चुनाव किया और इसलिए स्वयं और ईश्वर के बीच अलगाव ले आए (यशायाह 59:2)। शैतान ने उम्मीद की थी कि दम्पति पाप करने के बाद भी जीवन के वृक्ष से खाना जारी रखेंगे,और इस प्रकार अविनाशी पापी बन जाँएगे, लेकिन परमेश्वर ने इसे बचाने के लिए उन्हें बगीचे से निकल दिया ।

10. बाइबल लोगों को चोट पहुँचाने, धोखा देने, हतोत्साहित करने और नष्ट करने के शैतान के तरीकों के बारे में क्या प्रकाशित करती है?

उत्तर: बाइबल प्रकाशित करती कि शैतान लोगों को धोखा देने और नष्ट करने के लिए हर कल्पनीय दृष्टिकोण का उपयोग करता है। उसके दुष्ट आत्मा खुद को धर्मी लोगों के रूप पेश कर सकते हैं। और एक दिन शैतान एक गौरवशाली स्वर्गदूत के रूप में प्रकट होगा जिसके पास स्वर्ग से आग गिराने की शक्ति होगी। यँहा तक की वह यीशु का भी रूप लेगा। परन्तु आपको चेतावनी दे दी गई है, इसलिए उसके धोखे में न पड़े। जब यीशु आएगा, तब हर एक आँख उसे देखेगी  (प्रकाशितवाक्य 1:7)। वह बादलों में रहेगा और धरती को नहीं छूएगा (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)।

बाइबल कहती है कि शैतान:
धोखा देता है / प्रताड़ित करता है
(प्रकाशितवाक्य 12:9, 13)
बाइबल से गलत उदाहरण देता है
(मत्ती 4:5, 6)
झूठे आरोप लगाता है / हत्या करता है
(प्रकाशितवाक्य 12:10; यूहन्ना 8:44)
फंदे डालता है / फाड़ खाता है
(2 तीमुथियुस 2:26; 1 पतरस 5:8)
परमेश्वर के लोगों के विरुद्ध युद्ध करता है
(प्रकाशितवाक्य 12:17)
बंदी बनाता है / विश्वासघात को बढ़ावा देता है
(लूका 13:16; यूहन्ना 13:2, 21)
बंदीगृह में डालता है
(प्रकाशितवाक्य 2:10)
कब्जे में लेता है / रोकता है
(लूका 22:3-5; 1 थिस्सलुनीकियों 2:18)
चमत्कार करता है / झूठ बोलता है
(प्रकाशितवाक्य 16:13, 14; यूहन्ना 8:44)
प्रकाश के स्वर्गदूत के रूप में प्रकट होता
है (2 कुरिन्थियों 11:13-15)
बीमारी / विवाद लाता है
(अय्यूब 2:7
उसके पास ऐसी दुष्ट आत्ममाएँ हैं जो पादरियों
का रूप धारण करते हैं (2 कुरिन्थियों 11:13-15)
निंदा करता है ("शैतान" का मतलब है "निंदा
करने वाला")
स्वर्ग से आग गिराता है
(प्रकाशितवाक्य 13:13)

 

11. How effective are Satan’s temptations and strategies?11. शैतान के प्रलोभन और रणनीतियाँ कितनी प्रभावी हैं?

शैतान ने अपने पक्ष में: एक तिहाई स्वर्गदूतों को (प्रकाशितवाक्य 12:3-9); आदम और हव्वा को (उत्पत्ति 3); और नूह के दिनों में आठ लोगों के अलावा सभी को कर लिया (1 पतरस 3:20)। लगभग पूरी दुनिया यीशु के बजाय उसका अनुसरण करती है (प्रकाशितवाक्य 13:3)। बहुत से लोग उसके झूठ के कारण सदा के लिए खो जाएँगे (मत्ती 7:14; 22:14)।

उत्तर: शैतान की सफलता दर आश्चर्यजनक रूप से इतनी अधिक है कि यह लगभग अविश्वसनीय है। उसने परमेश्वर के स्वर्गदूतों में एक तिहाई को धोखा दिया। नूह के दिनों में, पृथ्वी पर आठ लोगों को छोड़कर बाकी सबको धोखा दिया। यीशु के दूसरे आगमन से पहले, शैतान एक स्वर्गीय प्राणी के रूप में प्रकट होगा, जो मसीह के रूप में प्रस्तुत होगा। उसकी भ्रामक शक्ति इतनी अधिक होगी कि हमारा एकमात्र सुरक्षा उसे देखने से इंकार कर देना होगा (मत्ती 24:23-26)। यदि आप शैतान को सुनने से इनकार करते हैं, तो यीशु आपको शैतान के धोखा से बचाएगा (यूहन्ना 10:29)। (यीशु के दूसरे आगमन की अधिक जानकारी के लिए, अध्ययन संदर्शिका 8 देखें)

12. शैतान को कब और कहाँ उसकी सजा मिलेगी? वह दण्ड क्या होगा?

"अतः जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अंत में होगा। मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकठ्ठा करेंगे, और उन्हें आग के कुण्ड में डालेंगे, जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।" (मत्ती 13:40-42)। "उन का भरमाने वाला शैतान, आग और गन्धक की झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जायेगा; और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे" (प्रकाशितवाक्य 20:10)। "हे शापित लोगो, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है" (मत्ती 25:41)। "मैंने तुझ में से ऐसी आग उत्पन्न की जिससे तू भस्म हुआ, और मैंने तुझे सब देखनेवालों के सामने भूमि पर भस्म कर डाला है। तू ... फिर कभी न पाया जाएगा।" (यहेजकेल 28:18, 19)।

At the end of the world, Satan will be thrown into the lake of fire, which will turn him into ashes and end his existence.

उत्तर: जगत के अंत में शैतान को इसी धरती पर पाप-नष्ट करने वाली आग में डाला जाएगा। शैतान को उसके पाप करने के लिए दूसरों को लुभाने, और उन लोगों को पीड़ा देने और नष्ट करने के लिए जिनसे परमेश्वर प्यार करता है, परमेश्वर दण्ड देगा।
ध्यान दें: परमेश्वर को होने वाले उस दुःख का विवरण देना सभंव नहीं है जब उसकी अपनी रचना, शैतान, को आग में डाला जाएगा। यह कितना पीड़ा दायक होगा, न सिर्फ़ उनके लिए जिन्हें आग में डाला जाएगा बल्कि उसके लिए भी जिसने उन्हें प्रेम से बनाया है।(नर्क के बारे अधिक के लिए जानकारी के अध्ययन सदंर्शिका 11 देखें ।) दुनिया के अंत में, शैतान को आग की झील में फेंक दिया जाएगा, जो उसे राख में बदल देगा और उसका अस्तित्व समाप्त कर देगा।

13. What finally settles the horrible problem of sin? Will it ever rise up again?13. आख़िरकार पाप की भयानक समस्या का समाधान क्या है? क्या यह फि र से उदय होगा?

"प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे
सामने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकर करेगी"
(रोमियों 14:11; फिलिप्पियों 2:10, 11; यशायाह 45:23) भी देखें।
"विपत्ति दसूरी बार पड़ने न पाएगी" (नहूम 1:9)।

उत्तर: दो अन्त्यत महत्वपूर्ण घटनाएँ पाप की समस्या का समाधान करेंगी:

पहली, शैतान और उसके दुष्टात्माओं सहित स्वर्ग और पृथ्वी के सभी प्राणि , परमेश्वर के सामने अपनी स्वतंत्र इच्छा से परमेश्वर के सामने घुटने टेकेंगे और खुले तौर पर स्वीकार करेंगे कि वह सच्चा, निष्पक्ष और धर्मी है। कोई भी प्रश्न अनुत्त रित नहीं रहेगा। सभी पापी यह स्वीकार करेंगे कि वे परमेश्वर के प्रेम और उद्धार को स्वीकार करने से इनकार करने के कारण खो गए हैं। वे सभी कबूल करेंगे कि वे अनंत मृत्यु के लायक हैं।

दूसरी, ब्रह्माण्ड से पाप को उन सभों के स्थायी विनाश के द्वारा मिटा दिया जाएगा जो इसका चुनाव करते हैं: शैतान, दुष्ट आत्माएँ , और उसके पीछे चलने वाले लोग। इस तर्क पर परमेश्वर का वचन स्पष्ट है; परमेश्वर की सृष्टि या उसके लोगों को चोट पहूँचाने के लिए पाप फिर कभी नहीं आएगा।.

Jesus made the destruction of sin possible.14. ब्रह्माण्ड से पाप के अंतिम,पूर्ण निवारण को यक़ीनन कौन बनाता है?

"परमेश्वर का पुत्र इसलिए प्रकट हुआ कि शैतान के कामों का नाश करे" (1 यूहन्ना 3:8)। "इसलिए जब की लड़के मांस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया, ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे" (इब्रानियों 2:14)।

उत्तर: अपने जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान के माध्यम से, यीशु ने पाप के निवारण को यक़ीनन किया।

15. परमेश्वर वास्तव में लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है?

"क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रेम रखता है" (यूहन्ना 16:27; यूहन्ना 3:16; 17:22, 23) भी देखें।

उत्तर: परमेश्वर पिता लोगों से उतना ही प्रेम करता है जितना की यीशु करता है। अपने जीवन में यीशु का मुख्य लक्ष्य उसके पिता का चरित्र दर्शाना था ताकि लोग जाने कि वह कितना प्रेम, स्नेही और परवाह करने वाला है (यूहन्ना 5:19)।

शैतान पिता को गलत रूप में प्रस्तुत करता है
शैतान ईश्वर को निमर्म, सख्त, निर्दयी, कठोर और अगमय के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करता है। शैतान अपने खुद के घिनौने, विपत्तिपूर्ण हिंसा को "ईश्वर के कार्य" के रूप में भी अंकित करता है। यीशु इस निंदा को अपने पिता के नाम से मिटाने और यह दर्शाने आया था कि स्वर्गीय पिता हमसे एक बच्चे के प्रति माँ के प्रेम से अधिक प्रेम करता है। (यशायाह 49:15)। परमश्वेर का धर्यै, कोमलता और प्रचुर मात्रा में दया, यीशु के प्रिय विषय थे।

पिता बेचैनी से इंतज़ा़ार कर सकता है
आपको खुश करने के एकमात्र उद्देश्य से, हमारे स्वर्गीय पिता ने आपके लिए एक शानदार सनातन घर तैयार किया है। इस धरती पर आपके द्वारा देखे गए सबसे बड़े सपने भी उन चीज़ों की बराबरी नहीं कर पाएँगे जो वह आपको देने का इंतज़ार कर रहा है। वह मुश्किल से ही इंतज़ार कर सकता है कि आपका स्वागत करे। आइए सुसमाचार फैलाएँ ! और तैयार रहें, क्योंकि अब देर नहीं होगी!

16. क्या आपको लगता है कि यह एक अच्छी खबर है कि ईश्वर पिता उतना ही प्यार करता है जितना की यीशु करता है?
आपका उत्तर:


आपके प्रश्नों के उत्तर


1. क्या आदम और हव्वा ने जो फल खाया था, सेब था?

उत्तर: हम नहीं जानते, बाइबल नहीं बताती।

2. यह अवधारणा कहाँ से उत्पन्न हुई जिसमें शैतान को लाल, आधे आदमी और आधे जानवर के रूप में सींग और पूँछ के साथ चित्रित किया गया है?

उत्तर: यह मूर्तिपूजक पौराणिक कथाओं से आता है, और यह गलत धारणा शैतान को प्रसन्न करती है। वह जानता है कि तर्कसंगत लोग राक्षसों को तथ्यों के रूप में अस्वीकार करते हैं और इसलिए उसके अस्तित्व से नकार दिया जाएगा। जो लोग शैतान पर विश्वास नहीं करते हैं वे धोखे के कब्ज़े में आसानी से फँसते हैं।

3. परमेश्वर ने आदम और हव्वा से कहा, "जिस दिन तू इससे खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा" (उत्पत्ति 2:17)। वे उसी दिन क्यों नहीं मर गए?

उत्तर: उत्पत्ति 2:17 में "मर जाएगा" शब्द का शाब्दिक प्रतिपादन "मरते जाएगा" है,जिसका उल्लेख अधिकांश बाइबल में हाशिये से किया जाता है। इसका मतलब है कि आदम और हव्वा मरण की प्रक्रिया में प्रवेश करते। पाप करने से पहले, दम्पति के पास एक अविनाशी, पापरहित स्वभाव था। यह स्वभाव जीवन के पेड़ के फल खाने से कायम था। जिस क्षण उन्होंने पाप किया, उनका स्वभाव मरनेवाले, पापपूर्ण स्वभाव में बदल गया। यह वही था जो परमेश्वर ने उन्हें बताया था। क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने से रोक दिया गया था, मृत्यु की ओर ले जाने वाली विकार एवं पतन की तुरंत शुरुआत हुई। कब्र उनके लिए यक़ीनन बन गई। परमेश्वर ने बाद में इस बात पर बल दिया जब उसने उनसे कहा, "तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में मिल जाएगा" (उत्पत्ति 3:19)।

4. परन्तु चूँकि परमेश्वर ने लूसिफर को बनाया, तो क्या वह उसके पापों के लिए वास्तव में ज़िम्मेवार नहीं है?

उत्तर: बिलकुल भी नहीं। परमश्वेर ने लूसिफर को एक आदर्श, पापरहित स्वर्गदूत बनाया था। लूसिफर ने खुद को शैतान बनाया। चुनने की स्वतंत्रता परमेश्वर की सरकार का आधारभूत सिद्धांत है। परमेश्वर ने जब उसे बनाया तब वह जानता था कि लूसिफर पाप करेगा। अगर उस समय परमेश्वर ने लूसिफर को बनाने से नकार दिया होता, तो वह अपने प्रेम की विशेषताओं में से एक गुण को अस्वीकार कर रहा होता; यानी की, चुनने की स्वतंत्रता को।

चुनने की स्वतंत्रता देना परमेश्वर का तरीक़ा है

पूरी तरह से जानते हुए कि लूसिफर क्या करने वाला था, परमेश्वर ने फिर भी उसे रचा। उसने आदम और हव्वा और आपके लिए भी ऐसा ही किया! परमेश्वर को आपके पैदा होने से पहले से पता था कि आप अपना जीवन किस प्रकार व्यतीत करेंगे लेकिन फिर भी वह आपको जीने की अनुमति देता है ताकि आप उसे या शैतान को चुन सकें । परमेश्वर अपने आप को मनुष्य द्वारा गलत समझेजाने और खुद पर झूठा आरोप लगवाने को तैयार है जबकि वह प्रत्येक मनुष्य को स्वतंत्र रूप से यह चुनाव करने की अनुमति देता है कि वह किसका अनुसरण करेगा या करेगी।

केवल प्रेमी परमेश्वर ही पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करने का जोखिम उठाएगा

स्वतंत्रता का यह गौरवशाली और अत्यंत महत्वपूर्ण उपहार केवल एक साधारण, पारदर्शी और प्रेमी परमेश्वर से ही आ सकता है। इस प्रकार के सृष्टिकर्ता , परमेश्वर और दोस्त की सेवा करना एक सम्मान और खुशी की बात है!

परमेश्वर की सेवा करना चुनें

पाप की समस्या शीघ्र ही ख़त्म हो जाएगी। शरुुआत में सबकुछ "बहुत अच्छा " था (उत्पत्ति 1:31)। अब "सारी दुनिया दुष्ट के वश में है" (1 यूहन्ना 5:19)। हर जगह लोग परमश्वेर या शैतान की सेवा करने के लिए चुनाव कर रहे हैं। आपके परमेश्वर द्वारा दी गई चूनने की स्वतंत्रता का प्रयोग कृपया परमेश्वर की सेवा करने लिए करें!

5. जब लूसिफर ने पाप किया तब परमेश्वर ने उसे क्यों नहीं नष्ट किया और समस्या को तुरंत खत्म कर दिया?

उत्तर: क्योंकि पाप परमश्वेर की सृष्टि में पूरी तरह से नया था और इसके निवासियों को इसकी समझ नहीं थी। यह सम्भव है कि लूसिफर ने भी पहले इसे पूरी तरह से नहीं समझा था। लूसिफर एक शानदार, अत्यधिक सम्मानित स्वर्गदूतों का नेता था। उसका दृष्टिकोण स्वर्ग और स्वर्गदूतों के लिए सहानुभूति रखने वाला होगा। उसका संदेश इस तरह से हो सकता है: "स्वर्ग अच्छा है, लेकिन यह और अधिक स्वर्गदूतों के निवेश से बेहतर हो सकता है। अत्यधिक निर्विरोध अधिकार, जैसा की हमारे पिता का है, नेताओं को वास्तविक जीवन के प्रति अंधा बना देता है। परमेश्वर जानता है कि मेरे सुझाव सही हैं, लेकिन वह ख़तरा महसूस कर रहा है। हमें हमारे नेता को, जो हमारे पहुँच से बाहर है, स्वर्ग में हमारी खुशी और स्थान को खतरे में डालने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अगर हम एकजुट होकर चलते हैं तो परमेश्वर हमारी सुनेंगे। हमें तुरंत कार्य करना होगा। अन्यथा, हम सभी एक ऐसी सरकार द्वारा बर्बाद हो जाएँगे जो हमारी सराहना नहीं करता है।"

एक तिहाई स्वर्गदूत लूसिफर के साथ मिल गए (प्रकाशितवाक्य 12:3, 4)

लूसिफर के तर्कों ने कई स्वर्गदूतों को आश्वस्त किया, और एक तिहाई विद्रोह में उससे जुड़ गए। यदि परमेश्वर ने लूसिफर को उसी वक्त नष्ट कर दिया होता, तो कुछ स्वर्गीय जीव जो परमेश्वर के चरित्र को पूरी तरह से नहीं समझते थे, वे प्रेम के बजाए डर से परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना शुरू कर देते, और कहते "क्या लूसिफर इसके बाद सही हो सकता था? हम अब कभी नहीं जान पाएँगे। सावधान रहें। यदि आप परमेश्वर को उसकी सरकार के बारे में सवाल करते हैं, तो वह आपको मार सकता है"। परमेश्वर के बनाए गए प्राणियों के दिमाग में कुछ भी नहीं सुलझता यदि उसने तुरंत लूसिफर को नष्ट कर दिया होता।

ईश्वर केवल प्रेमपूर्ण, स्वैच्छिक सेवा चाहता है 

ईश्वर सिर्फ ऐसी सेवा चाहता है जो खुशी, स्वेच्छा और वास्तविक प्रेम से प्रोत्साहित होती है। वह जानता है, कि आज्ञाकारिता किसी और चीज से प्रेरित, जैसे डर से प्रभावहीन और अंततः पाप का कारण बन जाएगी।

परमेश्वर शैतान को अपने सिद्धांतों को प्रदर्शित करने का समय दे रहा है

शैतान का दावा है कि उसके पास ब्रह्मांड के लिए एक बेहतर योजना है। परमेश्वर उसे अपने सिद्धांतों का प्रदर्शन करने के लिए समय दे रहा है। परमेश्वर पाप को तब नष्ट करेगा जब इस ब्रह्माण्ड की हर एक आत्मा सत्य को जान जाएगी – कि शैतान की सरकार अन्यायी, घृणास्पद, क्रूर, झूठी और विनाशकारी है।

यह ब्रह्माण्ड इस जगत को देख रहा है

बाइबल कहती है, "हम जगत,स्वर्गदूतों और मनुष्यों दोनो के लिए एक तमाशा ठहरे हैं" (1 कुरिन्थियों 4:9)। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड देख रहा है जब हम में से प्रत्कये यीशु और शैतान के बीच चल रहे विवाद में भाग लेते हैं। जैसे-जैसे विवाद समाप्त होगा, जब हर एक जन दोनों साम्राज्यों के सिद्धांतों को पूरी तरह से समझ लेगा और तब तक हर एक यीशु या शैतान का अनुसरण करने का चुनाव कर चुका होंगा। जिन्होंने शैतान का सहयोग करने का चुनाव किया होगा, वे ब्रह्मांड की सुरक्षा के लिए शैतान के साथ नष्ट किये जायेंगे, और अंत में परमेश्वर के लोग स्वर्ग में अपने घर की अनन्त सुरक्षा का आनंद ले सकेंगे।


सारांश पत्र


1. किसके साथ पाप उत्पन्न हुआ? (1)

_____  माइकल।
_____  लूसिफर।
_____  जिब्राएल।

2. लूसिफर कहाँ रहता था जब उसने पहली बार पाप किया था? (1)

_____  धरती पर।
_____  स्वर्ग में।
_____  उत्तरी सितारे पर।

3. उन वस्तुओं की जांच करें जिनमें लूसिफर की गद्दारी का वर्णन किया गया था: (6)

_____  स्वर्गदूत बनाया गया।
_____  ज्ञान से भरा।
_____  एक स्वर्गीय सफेद घोड़े की सवारी की।
_____  अपने तरीकों से बिल्कुल सही।
_____  स्वर्ग के द्वार की रखवाली।
_____  उत्कृष्ट संगीतकार।
_____  संदुरता में सिद्ध।
_____  छानेवाला करूब।

4. उन वस्तुओं को चिह्नित करें जो लूसिफर के विद्रोह के बारे में सच्चाई बताते हैं: (5)

_____  वह स्वर्ग से बाहर निकाल दिया गया था।
_____  उसने पश्चाताप किया और स्वर्ग में रुका।
_____ एक महल के अंदर छुपा ।
_____  उसका नाम शैतान बन गया।
_____  वह पहला पापी था।
_____  यीशु ने उसे बाहर निकलते देखा।
_____  एक तिहाही स्वर्गदुत उसके साथ गिराए गए।

5. लूसिफर क्या चाहता था? (2)

_____  उपासना किया जाना।
_____  परमेश्वर को बेदखल करने और उसकी जगह लेने के लिए।
_____  पूरे ब्रह्मांड में उड़ने के लिए।

6. शैतान के बारे में सच होने वाली वस्तुओं की जांच करें: (4)

_____  वह सींग और खुरों के साथ लाल है।
_____  उसका घर नरक में है।
_____  वह लोगों से प्यार करता है।
_____  वह एक स्वर्गीय स्वर्गदूत के रूप में प्रकट हो सकता है।
_____  वह चमत्कार नहीं कर सकता।
_____  वह झूठा और हत्यारा है
_____  वह स्वर्ग से आग बुला सकता है।
_____  अधिकांश लोग उसका अनुसरण करेंगे और खो जाएंगे।

7. आदम और हव्वा के पतन के बारे में नीचे दी गई कौन सी चीजें सच हैं? (3)

_____  शैतान एक स्वर्गदूत के रूप में छिपा हुआ था।
_____  शैतान ने ईश्वर को झूठा कहा।
_____  हम जानते हैं कि शैतान ने उन्हें सेब दिया था।
_____  शैतान पहले आदम के पास आया था।
_____  शैतान ने उम्मीद की कि वे अविनाशी पापी बन जाएंगे।
_____  उन्हें लुभाने में, शैतान ने झूठ और सच्चाई को मिश्रित किया।

8. शैतान की अंतिम सजा के बारे में क्या सच है? (4)

_____  उसे आग में फें क दिया जाएगा।
_____  उसके स्वर्गदूत भाग जाएंगे।
_____  आग स्वर्ग में होगी।
_____  शैतान और उसके स्वर्गदूत स्वीकार करेंगे कि वे गलत थे।
_____  पापियों को आग की झील में डाला जाएगा।
_____  शैतान परमेश्वर के न्याय को कबूल करेगा।

9. परमेश्वर ने लूसिफर को तब क्यों नहीं मारा जब उसने पाप किया? (4)

_____  स्वर्गदूत परमेश्वर को गलत समझ सकते थे।
_____  कुछ परमेश्वर से डर सकते हैं।
_____  लूसिफर परमेश्वर के लिए बहुत शक्तिशाली था।.
_____  अच्छे स्वर्गदूत उसे नहीं जाने देंगे।
_____  लूसिफर की योजना का प्रदर्शन करने के लिए समय की आवश्यकता थी।
_____  परमेश्वर की योजना को सही साबित करने के लिए समय की आवश्यकता थी।

10. आख़िरकार परमेश्वर की सरकार कौन सी एक चीज़ साबित करेगी? (1)

_____  परमेश्वर कुछ चमत्कार करेंगे।.
_____  ब्रह्मांड में हर आत्मा परमेश्वर के प्यार और न्याय को स्वीकार करते हुए घुटने टेक जाएगी।
_____  स्वर्ग के स्वर्गदूत सभी को परमेश्वर की सेवा करने के लिए कहेंगे।

11. पाप के बारे में नीचे कौन से तथ्य सत्य हैं? (5)

_____  यीशु ने पाप के विनाश को निश्चित किया है।
_____  पाप परमेश्वर के कानून तोड़ रहा है।
_____  पाप हमें परमेश्वर से अलग करता है।
_____  पाप पर क़ाबू पाना आसान है।
_____  शैतान के झूठ बोलने से पाप का आविष्कार हुआ।
_____  एक बार नष्ट हो गया, पाप फिर से नहीं भी उभरेगा।

12. नीचे कौन सी चीजें सच हैं? (5)

_____  शैतान अपने गुणों का श्रेय परमेश्वर को देता है।
_____  परमेश्वर हमें, हमारे माता-पिता से ज्यादा, प्यार करता है।
_____  तथाकथित "परमेश्वर के कार्य" शैतान के कार्य हैं।
_____  यीशु के जीवन ने परमेश्वर चरित्र को प्रकाशित किया।
_____  परमेश्वर पिता कठोर है।
_____  अधिकांश लोग परमेश्वर को गलत समझते हैं।

13. मैं यह जानकर प्रसन्न हूँ की पिता मुझसे उतना ही प्यार करता है जितना प्यार यीशु करता है।

_____  हाँ।
_____  नहीं।.