इन तेजी से बदलते और चुनौतीपूर्ण समय में - जब स्थिरता और सुरक्षा के वादे शायद ही कभी सामने आते हैं; जब भरोसेमंद आध्यात्मिक नेता झूठे साबित होते हैं; जब राजनीति में झूठ बोलना आदर्श लगता है; जब वे जिन पर आप सबसे अधिक निर्भर करते हैं, आपको सबसे गहरी चोट पहुंचाते हैं – क्या कुछ भी बचा है जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं? हाँ! आप पूरी तरह से बाइबल पर भरोसा कर सकते हैं! क्यों? आईये सबूतों पर एक नज़र डालते हैं…
1. बाइबल अपने बारे में क्या दावा करती है?
बाइबल कहती है, “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है” (2 तीमुथियुस 3:16)।
“क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्तजन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे” (2 पतरस 1:21)। “पवित्रशास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती” (यूहन्ना 10:35)।
उत्तर: बाइबल दावा करती है कि वह प्रेरित है, मनुष्य द्वारा लिखित जो पवित्र आत्मा द्वारा निर्देशित थे। यह कहती है कि इसके संदेश तोड़े या असत्य साबित नहीं किये जा सकते।
2. यीशु ने पवित्रशास्त्र में अपने आत्मविश्वास और विश्वास को कैसे प्रदर्शित किया?
यीशु ने उत्तर दिया, “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से जीवित नहीं रहेगा’ ... यह भी लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।’ ... क्योंकि लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर’ (मत्ती 4:4, 7, 10)। “सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर : तेरा वचन सत्य है” (यूहन्ना 17:17)।
उत्तर: जब शैतान के द्वारा यीशु की परीक्षा हुई तब उसने पवित्रशास्त्र से प्रमाण(हवाला) दिया। उसने भी कहा की बाइबल सत्य है (यूहन्ना 17:17)। यीशु ने पवित्रशास्त्र का हर उस चीज़ के लिए प्रमाण दिया जो वह सीखा रहा था।
3. बाइबल की भविष्यवाणि यों ने अपनी ईश्वरीय प्रेरणा की पुष्टि कैसे की?
बाइबल कहती है, “मैं यहोवा हूँ। ... अब मैं नई बातें बताता हूँ; उनके होने से पहले मैं तुम को सुनाता हूँ।” (यशायाह 42:8, 9)। “मैं परमेश्वर हूँ। ... मैं तो अन्त की बात आदि से और प्रचीनकाल से उस बात को बताता आया हूँ जो अब तक नहीं हुई।” (यशायाह 46:9, 10)।
उत्तर: भविष्य की घटनाओं के बारे में बाइबल की भविष्यवाणियां नाटकीय रूप से पवित्रशास्त्र की ईश्वरीय प्रेरणा की पुष्टि करती हैं। ये बाइबल की पूरी हुई भविष्यवाणियों के कुछ ही उदाहरण हैं:
क. चार विश्व साम्राज्यों का उदय होगा: बाबुल, मादा-फारस, यूनान, और रोम (दानिएल अध्याय 2, 7, 8)।
ख. कुस्त्रू वह योद्धा होगा जो बाबुल पर विजयी होगा (यशायाह 45:1-3)।
ग. बाबुल के विनाश के बाद, वह फिर कभी नहीं बसेगा (यशायाह 13:19, 20 यिर्मयाह 51:37)।
घ. देशों के मध्य मिस्र फिर कभी भी प्रभुता नहीं कर पाएगा (यहेजकेल 2 9:14, 15 30:12, 13)।
ङ. धरती हिला देने वाली आपदाएँ और बढ़ती घबराहट (लुका 21:25, 26)।
च. अंतिम दिनों में नैतिक पतन और झूठी धार्मिकता (2 तीमुथियुस 3:1-5)।
4. क्या विज्ञान के द्वारा प्राकृतिक जगत के विषय बाइबल बयानों की पुष्टि की गई है?
बाइबल कहती है, “तेरा सारा वचन सत्य ही है।” (भजन संहिता 119:160)।
उत्तर: हाँ। पवित्र आत्मा, जिसने बाइबल के सभी लेखकों की अगुवाई की है, सदा सच ही कहता है। यंहा बाइबल के कुछ ही बयान दिए गए हैं जिनकी विज्ञान ने पुष्टि की है:
क. “वह ... बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है”
(अय्यूब 26:7)। बाइबल की सबसे पुरानी पुस्तक, अय्यूब में इस वैज्ञानिक तथ्य का उल्लेख किया गया है।
ख. “यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमंडल पर विराजमान है”
(यशायाह 40:22)। वैज्ञानिकों के द्वारा इस बात की पुष्टि किए जाने से सदियों पहले से ही बाइबल कहती है कि पृथ्वी गोल है।
ग. “जब उसने वायु का तौल ठहराया”
(अय्यूब 28:25)। विज्ञान द्वारा इसे सत्यापित करने से पहले, बाइबल ने बताया कि हवा का भार है।
5. क्या आज की दुनिया में अभी भी स्वास्थ्य के बारे में बाइबल के बयान अनुरूप हैं?
बाइबल कहती है, “हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों में उन्नति करे और भला चंगा रहे” (3 यूहन्ना 1:2)।
उत्तर: परमेश्वर चाहता है कि उसकी सृष्टि खुश और स्वस्थ हो। निम्नलिखित कुछ उदाहरण हैं जो बाइबल स्वास्थ्य सिद्धांतों के पवित्र प्रेरणा की पुष्टि करते हैं :
क. मल को ढाँप देना (व्यवस्थावि वरण 23:12, 13)।
मूसा ने आदेश दिया कि शरीर के अपशिष्ट को इज़राएल के शिविर के बाहर दफनाया जाए, यह उसके समय से हजारों साल पहले था। जब मानव अपशिष्ट का सही ढँग से निपटान नहीं किया जाता है, तो रोग तुरंत ही पानी के माध्यम से फैल सकता है। इस बाइबल सलाह ने पूरे इतिहास में लाखों लोगों को बचाया है।
ख. “और न हम व्यभिचार (यौन अनैति कता) करें” (1 कुरिन्थियों 10:8)।
“व्यभिचार” किसी भी अनुचित यौन आचरण को संदर्भित करती है (एक व्यापक सूची के लिए लयव्यवस्था 18 देंखे)। बाइबल के इन नियमों का पालन करके, लोगों को अवांछित गर्भ धारण या यौन संक्रमित बिमारियों, जैसे सिफिलिस और एड्स के डर का थोड़ा कारण होगा।
ग. मादक पेय पदार्थों से दरू रहें (नीति वचन 23:29-32)।
अगर हर कोई बाइबल के इस सलाह का पालन करे, तो लाखों शराबी शांत, सहायक नागरिक बन जाएँगे; लाखों टूटे हुए परिवार फिर से जुड़ जाएँगे; नशे में वाहन चलाने से हजारों लोगों को बचाया जा सकेगा; और सरकार और व्यापारिक नेता स्पष्ट विचारधारा रख पाएँ गे।
नोट: ईश्वर न केवल हमें बताता है कि कैसे सफल होना है और आज की चुनौतीपूर्ण समस्याओं के बीच आनंद लें, वह हमें यह करने के लिए चमत्कारी शक्ति भी देता है (1 कुरिन्थियों 15:57; फिलिप्पियों 4:13; रोमियों 1:16)। बाइबल के स्वास्थ्य सिद्धांत आज भी अनुरूप हैं और बेहद जरूरी हैं। (स्वास्थ्य पर अधिक जानकारी के लिए, अध्ययन संदर्शिका 13 देंखे।)
6. क्या बाइबल के ऐतिहासिक विवरण अचूक हैं?
बाइबल कहती है, “मैं यहोवा सत्य ही कहता हूँ, मैं उचित बातें ही बताता आया हूँ” (यशायाह 45:19)।
उत्तर: हाँ। कभी-कभी पवित्रशास्त्र में पाए गए कुछ ऐतिहासिक दावों को साबित करने के लिए साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, लेकिन साक्ष्य बार-बार बाइबल की वैधता की साबित करने के लिए सामने आए हैं। निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:
क. वर्षों से संदेहियों ने कहा कि बाइबल अविश्वसनीय है क्योंकि यह हित्ती राष्ट्र का उल्लेख करती है (व्यवस्थाविवरण 7:1) और नीनवे (योना 1:1, 2) और सदोम (उत्पत्ति 19:1) जैसे शहर जिनके अस्तित्व से वे इनकार करते थे। लेकिन अब आधुनिक पुरातत्व ने पुष्टि की है कि तीनों अस्तित्व में थे।
ख. आलोचकों ने यह भी कहा कि राजा बलेशस्सर (दानिय्येल 5:1) और सर्गोन (यशायाह 20:1) कभी भी अस्तित्व में नहीं थे। फिर उनके अस्तित्व की पुष्टि की गयी है।
ग. संशयवादियों ने कहा कि मूसा का बाइबल अभिलेख भरोसेमंद नहीं था क्योंकि यह लेखों (निर्गमन 24:4) और पहियों वाले वाहनो (निर्गमन 14:25) का उल्लेख करता है, जिसे उन्होंने कहा था कि उनके समय में अस्तित्व में नहीं था। आज हम जानते हैं कि वे मौजूद थे।
घ. एक समय में, प्राचीन इज़राएल और यहूदा के 39 राजा केवल बाइबल लेख से ही जाने जाते थे; इस प्रकार, आलोचकों ने उनके अस्तित्व पर संदेह किया। लेकिन जब पुरातत्व विद्वानों ने स्वतंत्र प्राचीन अभिलेखों को पाया जो इन राजाओं में से कई का उल्लेख करते हैं, तो बाइबल लेख एक बार फिर सटीक साबित हुई।
बाइबल के आलोचक बार-बार गलत साबित हुए हैं, क्योंकि नई खोजों ने बाइबल के लोगों, स्थानों और घटनाओं की पुष्टि की है।
7. बाइबल के बारे में और किन तथ्यों ने इसकी ईश्वरीय प्रेरणा साबित की है?
बाइबल कहती है, “संपूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है” (2 तीमुथियुस 3:16)।
उत्तर: बाइबल की सबसे महान चमत्कारों में से एक इसकी एकता है।बस इन आश्चर्य्य्भजनक तथ्यों पर विचार करें:
बाइबल की 66 किताबें लिखी गई थीं:
1. तीन महाद्वीपों पर।
2. तीन भाषाओं में।
3. लगभग 40 विभिन्न लोगों द्वारा (जैसे राजा, चरवाहे, वैज्ञानिक, वकील, एक सैन्य प्रमुख, मछुआरे, याजक, और एक चिकित्सक)
4. लगभग 1,500 वर्षों की अवधि में
5. सबसे विवाद सम्ब न्धी विषयों पर
6. उन लोगों के द्वारा, जो ज्यादातर मामलों में एक दूसरे से कभी नहीं मिले थे
7. ऐसे लेखेखिकों के द्वारा जिनकी शिक्षा और पृष्ठभूमि बहुत भिन्न थी
8. लोगों के जीवनों में बाइबल की प्रेरणा का क्या सबूत मिलता है?
बाइबल कहती है, “यदि कोई मसीह में है, तो वह एक नई सृष्टि है; पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई है” (2 कुरिंथियों 5:17)।
9. जब हम यीशु के जीवन में नए नियम की घटनाओं के साथ आने वाले मसीहा की पुराने नियम की भवि ष्य वाणि यों की तुलना करते हैं तो बाइबल के प्रेरित होने के क्या सबूत सामने आते हैं?
बाइबल कहती है, “मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्र में से अपने [यीशु] विषय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया” (लूका 24:27)। “[अपुल्लोस] बड़ी प्रबलता से यहूदियों को सब के सामने निरुत्तर करता रहा” (प्रेरितों 18:28)।
उत्तर: मसीहा के बारे में पुराने नियम की भविष्यवाणियां इतनी विसतृत और स्पष्ट रूप से नासरत के यीशु ने पूरी की थी कि यीशु और अपुल्लोस दोनों ने इन भविष्यवाणियां का उपयोग यह साबित करने के लिए किया था कि यीशु वास्तव में मसीहा था। ऐसी 125 से अधिक भविष्यवाणियां हैं। आइए उनमें से केवल 12 की समीक्षा करें:
भविष्यवाणी | पुराने नियम की भविष्यवाणियाँ | नया नियम पूर्ति | |
1. | बैतलहम में पैदा हुआ | मीका 5:2 | मत्ती 2:1 |
2. | एक कुँवारी से जन्मा | यशायाह 7:14 | मत्ती 1:18-23 |
3. | दाऊद का वंशज | यिर्मयाह 23:5 | प्रकाशितवाक्य 22:16 |
4. | हत्या के प्रयास का लक्ष्य | यिर्मयाह 31:15 | मत्ती 2:16-18 |
5. | एक दोस्त के द्वारा धोखा दिया गया | भजन संहिता 41:9 | यूहन्ना 13:18, 1 9, 26 |
6. | चाँदी के 30 सिक्कों में बेच दिया गया | जकर्याह 11:12 | मत्ती 26:14-16 |
7. | क्रूस पर चढ़ाया गया | जकर्याह 12:10 | यूहन्ना 1 9:16-18, 37 |
8. | उसके कपडों के लिए चिट्ठी डाली | भजन संहिता 22:18 | मत्ती 27:35 |
9. | कोई भी हड्डी नहीं टूटी | भजन संहिता 34:20 | यूहन्ना 1 9:31-36 |
10. | एक धनवान की कब्र में दफनाया गया | यशायाह 53:9 | मत्ती 27:57-60 |
11. | उसकी मृत्यु का वर्ष, दिन, पहर | दानिय्येल 9:26, 27; निर्गमन12:6 | मत्ती 27:45-50 |
12. | तीसरे दिन जी उठा | होशे 6:2 | प्रेरितों 10:38-40 |
कितनी संभावना है कि यीशु ने इन में से सिर्फ आठ को महज संयोग से पूरा किया? कैलिफोर्निया के पासाडेना कॉलेज में गणित, खगोल विज्ञान और इंजीनिय रिंग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीटर स्टोनर ने इस प्रश्न की संभावना के सिद्धांत को लागू किया। उनके आकलन के मुताबि क इन में से सिर्फ आठ भविष्यवाणियों को एक ही व्यक्ति के द्वारा पूरा किए जाने की संभावना 1,000,000,000,000,000,000,000,000,000, 000,000 में से एक है। मसीहा की पूरी १२५ भविषय वाणियों की सम्भावनाएँ क्या संयोंग मात्र से पूरी होंगी? यह केवल संयोंग से नहीं हो सकता।
10. किसी व्यक्ति के लिए जो बाइबल को परमेश्वर के प्रेरित वचन के रूप में स्वीकार करता है क्या फायदा है?
बाइबल कहती है, “मैं पुरनियों से भी समझदार हूँ, क्योंकि मैं तेरे अपदेशों को पकड़े हुए हूँ” (भजन संहि ता 119:100)। “तु ... मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धि मान करता है” (भजन संहिता 119:98)। “मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है” (यशायाह 55:9)।
उत्तर: एक व्यक्ति जो परमेश्वर के वचन को स्वीकार करता है, वह कई रहस्यों के उत्तर खोजेगा जो केवल सांसारिक उत्तरों की मांग करने वालों को भ्रमित करते हैं। मिसाल के तौर पर, जीवन के बारे में कोई ज्ञात तरीका नहीं है जो निर्जीव जीवन से उभर सकता है; बाइबल कहती है कि परमेश्वर ने जीवन शुरू करने के लिए एक अलौकिक माध्यम को लिखा। अब वैज्ञानिक भी जानते हैं कि आज के सभी मानव जीवन एक ही महिला से आया है; यह वही है जो बाइबल उत्पत्ति में सिखाती है।
आप यह भी जान सकते हैं कि परमेश्वर ने 24 घंटे वाले छह दिनों में जगत की सृष्टि की; जैसे कि एक विश्वव्यापी बाढ़ ने समुद्री जीवों और जहाज के अन्दर जो प्राणी थे उन्हें छोड़ कर सब जीवों का नाश कर दिया; और जगत की विभिन्न भाषाओं की उत्पत्ति बाबुल के गुम्मट से हुई।
परमेश्वर, जिसका अस्तित्व सदा से है और सबकुछ जानता है, वह बाइबल में इन सत्यों को हमारे साथ साझा करता है, क्योंकि वह जानता है कि हम खुद से इन सारी बातों को नहीं जान पाएँगे। परमेश्वर का ज्ञान “अगम” है (रोमियों 11:33)। बाइबल पर विश्वास करें, और आप हमेशा मनुष्यों के ज्ञान से आगे रहेंगे।
उत्तर: प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या और विश्वव्यापी आतंकवाद का उदय बाइबल द्वारा भविष्यवाणी के संके त हैं, जो कहती है कि,समय के अंत में “पृथ्वी पर परदेशेश -देशेश के लोगों को संकट होगा, क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे” (लूका 21:25)। 26 दि संबर, 2004 की सुनामी, सिर्फ एक उदाहरण है। आधुनिक इतिहास में सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक में 250,000 से अधिक लोगों की मौत या लापता होने की सूचना मिली थी। एक साल बाद, तूफान कैटरीना न्यू ऑरलियन्स का विनाश कर गई, जो हमें फिर से यीशु के शब्दों की भविष्यवाणी शक्ति की याद दिलाती है कि “लहरों का कोलाहल” होगा।
बाइबल ने यह भी भविष्यवाणी की है कि “राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा” (मत्ती 24:7)। 11 सितंबर, 2001 को विश्व व्यापार केंद्र टावरों पर विनाशकारी हमले के बाद, लोगों को एहसास हुआ कि कोई भी देश वास्तव में सुरक्षि त नहीं है। मध्य पूर्व में चल रहे और आतंकवाद की पीड़ा लोगों को ताकत और आशा के स्रोत के रूप में बाइबल के पास लाई है।
कुछ लोग बाइबल पर सवाल उठाते हैं क्योंकि यह पृथ्वी की “क्रमिक विकास” के बजाय दुनिया की रचना की बात करता है। यीशु ने पूछा, “तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?” (लूका 18:8)। हालांकि, क्रमिक विकास का सिद्धांत व्यापक रूप से अस्वीकृत किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, आण्विक जीवविज्ञान दर्शाता है कि एकल कोशिका अनियमित रूप से जटिल है, जिससे एक एकल कोशिका में जीवन की आकस्मिक उत्पत्ति न केवल अनुचित, बल्कि असंभव है। शायद यही कारण है कि कई पूर्व नास्तिकों, जिनमें फ्रेड होयले और एक बार कुख्या तनास्तिक एंटनी फ्लेलरेऊ शामिल थे, का मानना है कि जगत का निर्माण किया गया था, जिन्होंने कहा, “परमेश्वर के अस्तित्व के सबसे प्रभावशाली तर्क वे हैं जो हाल ही में वैज्ञानिक खोजों द्वारा समर्थित हैं।”
क्रमिक विकास का सिद्धांत सिखाता है कि मनुष्य और वनमानुष के पुर्वर्व्भज एक ही हैं, और इस बात से इनकार करता है कि लोगों को परमेश्वर की स्वरूप में बनाया गया था और यह की परमेश्वर के साथ अनन्त काल तक जीवित रहना आपका एक वास्तविक उद्देश्य। बाइबल की भविष्यवाणी की पूर्ति के साथ-साथ क्रमिक विकास का वैज्ञानिक पतन, परमेश्वर के वचन में अपना विश्वास स्थापित करने में मदद कर सकता है। बाइबल में सार्वभौमिक अपील है क्योंकि यह जीवन के सबसे परेशान सवालों के स्पष्ट उत्तर प्रदान करती है।
12. स्थायी ख़ुशी और शाँति के लिए बाइबल आपका सबसे अच्छा मौका क्यों है?
बाइबल कहती है, “तेरा वचन ... मेरे मार्ग के लिए उजियाला है” (भजन संहिता 119:105)। “मैंने ये बातें तुमसे इसलिए कही हैं, ... और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए” (यूहन्ना 15:11)। “परमेश्वर ने ... अपने स्वरूप के अनुसार ... मनुष्यों की सृ ष्टि की” (उत्पत्ति 1:27)। “उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करे” (मत्ती 5:16)। “तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:3)।
उत्तर: क्योंकि यह जीवन के सबसे पेचीदा और कठि न सवालों का जवाब देता है:
- मैं कहाँ से आया हूँ? परमेश्वर ने हमें अपनी स्वरूप में बनाया; हम उद्देश्य रहित महज संयोग नहीं हैं। हम परमेश्वर की संतान है (गलतियों 3:26)। इतना ही नहीं, उसकी संतान होने के नाते हम उसके लिए बहुमुल्य हैं और वह चाहता है कि हम सदा उसके साथ रहें।
- मैं यहाँ क्यों हूँ? बाइबल कहती है कि जीवन के लिए आज हमारा लक्ष्य जीवन की समस्याओं के लिए परमेश्वर की उत्तम, व्यावहारिक उत्तरों को ढूंढ़ना, पापों की मुक्ति दिलाने के लिए यीशु के प्रस्ताव को स्वीकार करना, और हर दिन उसके जैसे बनना, होना चाहिए (रोमियों 8:29)।
- भविष्य में मेरे लिए क्या है? आपको अनुमान लगाने की आवश्यकता नहीं है! आज आप न केवल और अधिक शांति और खुशी का अनुभव करेंगे बल्कि बाइबल कहती है कि यीशु अपने लोगों को अध्भुत घर में ले जाने के लिए जल्द ही आएगा जिसे वह स्वर्ग में उनके लिए तैयारी कर रहा है (यूहन्ना 14:1-3)। परमेश्वर की उपस्थिति में आप परम आनन्द और सुख के साथ सर्वदा जीवित रहेंगे (प्रकाशितवाक्य 21:3, 4)।
13. क्या आप जीवन के सबसे पेचीदा सवालों के स्नेही उत्तर के लिए परमेश्वर के आभारी हैं?
आपका उत्तर:
आपके प्रशन्नो के उत्तर
1. बाइबल लोगों के पाप के इतने भयंकर, स्पष्ट वि वरण क्यों देती है?
उत्तर: पाप परमेश्वर के लिए भयानक है, और वह चाहता है कि हम उससे उतना ही घृणा करे जितना की वह करता है। बाइबल में अच्छी और बुरी दोनों तरह की कहानियों के शामिल किए जाने से इसे विश्वसनीयता मिलती है। इन्हें ऐसे बताने जैसे ये हैं, लोगों को यह साहस दिलाता है कि बाइबल पर विश्वास किया जा सकता है। यह कुछ भी छिपाती नहीं है। शैतान की रणनीति लोगों को विश्वास दिलाना कि वे इतने भयानक पापी हैं कि परमेश्वर उन्हें बचा नहीं सकता और न ही बचाएगा। उनको कितनी खुशी होती है जब उन्हें अपने जैसे लोगों के बाइबल के क़िस्सों को दिखाया जाता है जिन्हें परमेश्वर ने पाप से बचाया है! (रोमियों 15:4)।
2. क्या संपूर्ण बाइबल प्रेरित है - या सिर्फ इसके कुछ ही हिस्से?
उत्तर: “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और उपदेश , और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक है” (2 तीमुथियुस 3:16,)। बाइबल में न ही केवल परमेश्वर के शब्द सम्मिलित हैं - यह परमेश्वर का वचन है। बाइबल मानव जीवन के लिए सूचना और संचालन पुस्तिका है। इसे अनदेखा करें और आप अनावश्यक कठिनाइयों का अनुभव करेंगे।
3. क्या एक प्राचीन पुस्तक पर भरोसा करने के लिए यह असुरक्षि त नहीं है, जो हमारे समय तक हटा दी गयी थी?
उत्तर: नहीं। बाइबल की उम्र इसकी प्रेरणा के प्रमाणों में से एक है। यह कहती है, “परन्तु प्रभु का वचन युगानुयुग स्थिर रहता है” (1 पतरस 1:25)। बाइबल एक चट्टान के रूप में खड़ी है; इसे नष्ट नहीं किया जा सकता। पुरुषों और यंहा तक की संपूर्ण राष्ट्रों ने इसे जला दिया, प्रति बंधित किया, और बाइबल को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बजाए खुद ही को नष्ट कर लिया। सदियों बाद भी, जब वे चले गए बाइबल निरंतर माँग में सबसे ज़्यादा बिकने वाली पुस्तक बनी रही (रहेगी)। इसका संदेश परमेश्वर द्वारा दिया गया है और सामयिक है। इससे पहले कि आप इसका अध्ययन करें, प्रार्थना करें कि जैसे आप इसे पढ़ते हैं, परमेश्वर आपके दिल को खोले।
4. दुनिया के कई बुद्धि जीवी लोग मानते हैं कि कोई भी बाइबल को समझ नहीं सकता है। यदि यह वास्तव में परमेश्वर की पुस्तक है, तो क्या हर किसी को इसे समझने में सक्षम नहीं होना चाहिए?
उत्तर: बुद्धिमान लोग जो वास्तव में किसी भी चीज को समझ लेते हैं अक्सर बाइबल पढ़ने पर परेशान हो जाते हैं। इसका कारण यह है कि आध्यात्मिक चीजों की “जाँच आत्मिक रीति से होती है” (1 कुरिंथियों 2:13, 14)। वचन की गहरी चीजें कभी भी सांसारिक दिमाग से नहीं समझी जाएँगी, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना बुद्धिमान है। जब तक कोई ईमानदारी से परमेश्वर को अनुभव करने की कोशिश नहीं करता, वह परमेश्वर की बातों को समझ नहीं सकता या सकती है। पवित्र आत्मा को, जो बाइबल को समझाती है (यूहन्ना 16:13; 14:26), संसारिक बुद्धि से नहीं समझा जाता है। दूसरी तरफ, विनम्र, यँहा तक कि अशिक्षित, साधक जो बाइबल का अध्ययन करता है वह पवित्र आत्मा से आश्चर्यजनक समझ प्राप्त करता है (मत्ती 11:25; 1 कुरिंथियों 2:9, 10)।
5. कुछ कहते हैं कि बाइबल त्रुटि यों से भरी है। कोई भी कैसे विश्वा स कर सकता है कि यह प्रेरित है?
उत्तर: बाइबल की तथाकथित त्रुटियों को शिकायत करने वाले लोगों के पक्ष में निर्णय की त्रुटियों या समझ की कमी के रूप में प्रदर्शित किया गया है। वे बिल्कुल भी त्रुटियाँ नहीं हैं, परन्तु साधारण तौर पर सच्चाईयों को गलत समझा गया। प्रेरित बाइबल:
1. हमेशा आपको सच बताएगी
2. आपको कभी गुमराह नहीं करेगी
3. पूरी तरह से भरोसा किया जा सकता है
4. आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, और वैज्ञानिक मामलों में भरोसेमंद और आधिकारिक है
यह सच है कि, कुछ मामलों में प्रति लिपि बनाने वालों के द्वारा, यँहा और वँहा एक छोटा शब्द या संख्या गलत तरीके से लिखी हो सकती है, लेकिन ऐसी कोई त्रुटिया कोई अन्य कथित त्रुटि ने परमेश्वर के वचन की पूर्ण सत्यता को प्रभावित नहीं किया है। सिद्धांत बाइबल के सिर्फ एक वाक्यांश पर नहीं बनाए गए हैं, परन्तु किसी विषय पर पूरी तरह से प्रेरित टिप्पणियों पर बनाए गए हैं। निसंदेह, बाइबल की कुछ चीजों को सामंजस्य में लाना कठिन है। संदेह के लिए हमेशा जगह बनी रहेगी। हालांकि, यँहा कि जिन कथित त्रुटियों को अभी तक नहीं समझा गया है, अंततः वे भी सामंजस्य में आ जाएँगी, जैसा कि अतीत में हुआ है। ऐसा लगता है कि लोग बाइबल का जि तना अधिक दुर्बल करने की कोशिश करते हैं, उतनी ही अधिक इसकी रोशनी चमकती है।
सारांश पत्र
1. कौन सी पूर्ण भविष्यवाणियाँ बाइबल के प्रेरित होने की पुष्टि करती हैं? (4)
_____ साइरस (कुस्रू) बाबलु पर विजय पाएगी
_____ जॉर्ज वाशिंगटन संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा
_____ मिस्र कभी भी एक मजबतू , अग्रणी राष्ट्र नहीं होगा।
_____ अंतिम दिनों में नैतिकता का पतन होगा।
_____ जर्मनी में 20 साल का सूखा होगा।
_____ बाबलु , एक बार नष्ट हो गया, फिर कभी नहीं बसेगा।
2. यीशु ने बाइबल की प्रेरणा के लिए अपना विश्वास इस प्रकार दिखाया, (1)
_____ विषय पर जोर से बात करके ।
_____ सिखाते समय इसका प्रमाण देकर।
_____ संदेह करने वालों पर आग बरसाकर।
_____ मंदिर की सीढ़ियों से प्रचार करके ।
3. नीचे दी गई सूची में किन वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख बाइबल में है? (2)
_____ पृथ्वी गोल है।
_____ वायु का वजन है।
_____ पानी का अणु सूत्र “H2O” है।
_____ समुद्री जल नमकीन है
4. बाइबल में निम्नलिखित में से स्वास्थ्य के किन नियमों का जिक्र है? (2)
_____ रोजाना चार गैलन पानी पीएँ ।
_____ मदिरापान न करें।
_____ सुबह शाम दोड़ लगाएँ ।
_____ अनैतिक यौन आचरण से दूर रहें।
5. बाइबल के बारे में निम्नलिखित बयान सत्य हैं: (3)
_____ लगभग 40 लोगों ने बाइबल लिखने में मदद की।
_____ बाइबल 10,000 साल की अवधि में लिखी गई थी।
_____ बाइबल के केवल कुछ भाग प्रेरित हैं।
_____ वास्तविक बाइबल लेखक पवित्र आत्मा है।
_____ बाइबल सर्वधिक बिकने वाली पुस्तक है।.
6. मसीहा के जीवन के बारे में बाइबल में निम्नलिखित भविष्यवाणियाँ कौन सी थी? (3)
_____ वह नासरत में पैदा होगा।
_____ अकसर उड़ कर स्वर्ग जाएगा।
_____ चांदी के 30 टुकड़ों के लिए बेचा जाएगा।
_____ हेरोदेस उसे मारने की कोशिश करेगा।
_____ क्रूस पर चढ़ाया जाएगा।
_____ सात साल बाद फिर से जी उठाया जाएगा।
7. बाइबल का कौनसा नियम, यदि पालन कि या जाए, तो एड्स की रोकथाम हो सकती है? (1)
_____ यौन अनैतिकता न करें।
_____ मनुष्य द्वारा बनायी गयीं मूर्तियों की पूजा ना करें।
_____ नियमित रूप से भोजन खाएँ ।
8. क्रमिक विकास के बारे में नीचे दिए गए कौन से बयान सत्य हैं? (2)
_____ यह एक अप्रमाणित सिद्धांत है।
_____ यह मसीही धर्म को दुर्बल करता है।
_____ यह साबित करता है कि मनुष्यों और बंदरों के पुर्वज एक ही हैं।
9. नीचे दिए गए कौन से बयान बाइबल के प्रेरित होने को साबित करने में मदद करते हैं? (5)
_____ इसकी जीवनियों में बुरे और अच्छे दोनों शामिल है।
_____ यह अपने अनुयायियों के जीवन को बदलती है।
_____ मसीहा की पुराने नियम की भविष्यवाणियां यीशु ने पूरी की थीं।
_____ यह चार विश्व साम्राज्यों के उदय की भविष्यवाणी करता है।
_____ इसमें आश्चर्यजनक एकता है।
_____ यह यीशु के दूसरे आगमन का दिन और पहर बताता है।
10. बाइबल के अनुसार परमेश्वर ने पृथ्वी की रचना, 24 घंटे वाले छः दिनों में की। (1)
_____ सही
_____ गलत
11. नूह के दिनों में, एक विश्वव्यापी बाढ़ ने जहाज के अंदर जो भी था और समुद्री जीवों को छोड़कर, सभी जीवित चीज़ को नष्ट कर दिया। (1)
_____ सही
_____ गलत
12. दुनिया की विभिन्न भाषाओं का जन्म बाबुल के गुम्मट में हुआ था। (1)
_____ सही
_____ गलत
13. मैं जीवन के सबसे पेचीदा सवालों के सकारात्मक जवाब देने के लिए परमेश्वर का आभारी हूं।
_____ हाँ
_____ नहीं