निर्णायक समिति आती है, फैसला सुनाती है – मुकदमा समाप्त! कुछ विचार, अधिक गम्भीर हो सकते हैं। वह दिन तेजी से आ रहा है जब सभी जो कभी जीवित थे, उनके जीवन की समीक्षा सर्व-बुद्धिमान परमेश्वर (2 कुरिंथियों 5:10) के समक्ष की जाएगी। लेकिन इस से आप चौंके नहीं, बल्कि हिम्मत रखें! लाखों लोगों ने पहले ही पाया कि इस अध्ययन संदर्शिका में न्याय का संदेश बहुत ही अच्छी खबर है! उन चार मौकों पर जब प्रकाशितवाक्य की किताब महान न्याय का उल्लेख करती है, तो यह प्रशंसा और धन्यवाद लाता है! लेकिन क्या आप जानते थे कि बाइबिल एक हजार से अधिक बार न्याय का उल्लेख करती है? लगभग हर बाइबल लेखक इसे संदर्भित करता है, इसलिए इसका महत्व बढ़ाया-चढ़ाया नहीं जा सकता । अगले कुछ मिनटों में, आपको इस उपेक्षित विषय पर वास्तविक आँखें खोलने वाली बाते मिलेंगी।
नोट: अंतिम न्याय के तीन चरण हैं - इस अध्ययन को पढ़ते समय उन पर ध्यान दें!
अंतिम न्याय का पहला चरण:
1. स्वर्गदूत जिब्राएल ने दानिय्येल को 1844 के स्वर्गीय न्याय की भविष्यवाणी दी। न्याय के पहले चरण को “पूर्व आगमन न्याय” कहा जाता है क्योंकि यह यीशु के दूसरे आगमन से पहले होता है। न्याय के पहले चरण में लोगों के किस समूह पर विचार किया जाएगा? यह कब समाप्त होता है?
“वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए” (1 पतरस 4:17)। “जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे।” “देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है” (प्रकाशितवा क्य 22:11, 12)।
उत्तर: यह यीशु के दूसरे आगमन से ठीक पहले समाप्त होता है। (1844 की आरंभिक तिथि अध्ययन संदर्शिका 18 में स्थापित की गई है) जीवित या मृत, जो मसीही होने का दावा करते हैं (“परमेश्वर का घर”) पूर्व आगमन न्याय में उनका विचार किया जाएगा।
2. न्याय पर कौन अध्यक्षता करता है? बचाव पक्ष का वकील कौन है? न्यायाधीश? दोषारोपक? गवाह कौन है?
“अति प्राचीन विराजमान हुआ। ... उसका सिंहासनअग्निमय और उसके पहिये धधकती हुई आग
के से दिखाई पड़ते थे। ... फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं” (दानिय्येल 7:9, 10)। “पिता के
पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धर्मी यीशु मसीह” (1 यूहन्ना 2:1)। “पिता ... न्याय करने का सब
काम पुत्र को सौंप दिया है” (यूहन्ना 5:22)। “शैतान ... हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला, जो रात दिन
हमारे परमेश्वर के सामने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया” (प्रकाशितवाक्य 12:9, 10)।
“जो आमीन और विश्वासयोग्य और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है” वह यह
कहता है (प्रकाशितवाक्य 3:14)। (कुलुस्सियों 1:12-15 भी देखें।)
उत्तर: परम प्रधान पिता, जो अति प्राचीन है, न्याय में अध्यक्षता करता है। वह आपसे बहुत प्रेम करता है (यूहन्ना 16:27)। शैतान आपका एकमात्र दोषारोपक है। स्वर्गीय अदालत में, यीशु, जो आपसे प्रेम करता है-और आपका सबसे अच्छा दोस्त है-आपका वकील, न्यायाधीश और गवाह होगा। और वह वादा करता है कि न्याय “संतों के पक्ष में होगा” (दानिय्येल 7:22)।
3. पूर्व आगमन में होने वाले न्याय में इस्तेमाल किए गए साक्ष्य का स्रोत क्या है? किस मापक से सभी का फैसला किया जाएगा? चूँकि परमेश्वर पहले से ही हर व्यक्ति के बारे में सब कुछ जानता है, तो फिर न्याय की क्या ज़रूरत है?
“फिर न्यायी बैठ गए, और पुस्तकें खोली गईं” (दानिय्येल 7:10)। “उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया” (प्रकाशितवा क्य 20:12)।
“[उन लोगों] ... जिन का न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा” (याकूब 2:12)। “क्योंकि हम जगत और स्वर्गदूतों और मनुष्यों के लिये एक तमाशा ठहरे हैं” (1 कुरिन्थियों 4:9)।
उत्तर: इस अदालत के लिए साक्ष्य “पुस्तकों” से आता है जिसमें किसी के जीवन के सभी विवरण दर्ज किए
जाते हैं। वफादारों के लिए, प्रार्थना, पश्चाताप, और पाप की क्षमा का अभिलेख सभी के देखने के लिए होगा।
अभिलेख यह साबित करेंगे कि परमेश्वर की शक्ति मसीहियों को बदले जीवन जीने में सक्षम बनाती है। परमेश्वर अपने संतों से प्रसन्न हैं और उनके जीवन के साक्ष्य साझा करने में भी प्रसन्न होंगे। न्याय यह पुष्टि करेगा कि” जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं। [क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं।]” (रोमियों 8:1)। दस-आज्ञा की व्यवस्था न्याय में परमेश्वर का मापक है (याकूब 2:10-12)। उसकी व्यवस्था को तोड़ना पाप है (1 यूहन्ना 3:4)। व्यवस्था की धार्मिकता यीशु के द्वारा सभी लोगों के लिए पूरी की जाएगी (रोमियों 8:3, 4)। यह दावा करना कि यह सब असंभव है, यीशु के वचन और उसकी शक्ति पर संदेह करना है। यह न्याय परमेश्वर को सूचित करने के लिए नहीं है। वह पहले से ही पूरी तरह से सूचित है और सब जानता है (2 तीमुथियुस 2:19)। इसके बजाय, छुड़ाए गए लोग, एक ऐसी दुनिया से, जो पाप से अपमानित हो गई है, स्वर्ग में आ जायेंगे। स्वर्गदूत और पापहीन दुनियाओं के निवासी, दोनों निश्चित रूप से किसी ऐसे मानव को, परमेश्वर के राज्य में, प्रवेश करने के बारे में असहज महसूस करेंगे जो फिर से पाप शुरू कर सकते है। इस प्रकार, न्याय उनके लिए पूरा विवरण देगा और हर सवाल का जवाब देगा। शैतान का असली उद्देश्य हमेशा परमेश्वर को अन्यायी, क्रूर, प्रेम न करने वाले और सत्य नहीं बताने वाले के रूप में बदनाम करना है। यह ब्रह्मांड में सभी प्राणियों के लिए और भी महत्वपूर्ण है कि परमेश्वर ने पापियों के साथ कितना धर्य रखा है। परमेश्वर के चरित्र की निष्ठा न्याय का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है (प्रकाशितवाक्य 11:16-19; 15:2-4; 16:5, 7; 19:1, 2; दानिय्येल 4:36, 37)। ध्यान दें कि न्याय को संभालने के तरीके के लिए परमेश्वर को स्तुति और महिमा प्रदान करते हैं।
4. पूर्व-आगमन में होने वाले न्याय में किसी व्यक्ति के जीवन के किस हिस्से पर विचार किया जाता है? किस बात की पुष्टि की जाएगी? प्रतिफल कैसे तय किए जाएँगे?
“परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा” (सभोपदेशक 12:14)।
“कटनी तक दोनों [गेहूं और जंगली घास] को एक साथ बढ़ने दो। ... मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को
भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे”
(मत्ती 13:30, 41)। “देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये
प्रतिफल मेरे पास है” (प्रकाशितवाक्य 22:12)।
उत्तर: गुप्त विचारों और छिपे हुए काम सहित जीवन के हर विवरण की समीक्षा की जाएगी। इस कारण से, न्याय के पहले चरण को “खोज-बीन का न्याय” कहा जाता है। न्याय यह पुष्टि करेगा कि उन लोगों में से किनको बचाया जाएगा जिन्होंने मसीही होने का दावा किया था। यह निश्चित रूप से उन लोगों के खोने की भी पुष्टि करेगा जिनके नाम पूर्व -आगमन में होने वाले न्याय में नहीं हैं। यद्यपि हम अनुग्रह से बचाए जाते हैं, फिर भी प्रतिफल हमारे कामों या आचरण के आधार पर दिए जाएँगे - जो मसीही के विश्वास की वास्तविकता को साबित करते हैं (याकूब 2:26)।
अंतिम न्याय का दूसरा चरण
5. प्रकाशितवाक्य अध्याय 20 के 1,000 वर्षों के दौरान स्वर्गीय न्याय में कौन सा समूह शामिल है? न्याय के इस दूसरे चरण का उद्देश्य क्या है?
“क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र लोग जगत का न्याय करेंगे? ... क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे?” (1 कुरिंथियों 6:2, 3)। “फिर मैं ने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया” (प्रकाशितवाक्य 20:4)।
उत्तर: “पवित्र जन” - सभी युगों के बचाए गए लोग जिन्हें मसीह अपने दूसरे आगमन पर स्वर्ग में ले जाते हैं - न्याय के इस दूसरे चरण में भाग लेंगे। मान लीजिए कि एक परिवार ने पाया कि उनका प्यारा बेटा जिसकी हत्या की गई थी, स्वर्ग में नहीं है – परन्तु हत्यारा है। निस्संदेह उन्हें कुछ उत्तरों की आवश्यकता होगी। न्याय का यह दूसरा चरण इन सभी सवालों का जवाब देगा। प्रत्येक खोए हुए व्यक्ति (शैतान और उसके स्वर्गदूतों सहित ) के जीवन की समीक्षा बचाए गए लोगों के द्वारा की जाएगी, जो आखिरकार प्रत्येक के लिए उनके अनन्त भाग्य के बारे में यीशु के फैसलों से सहमत होंगे। सभी को यह स्पष्ट हो जाएगा कि न्याय कोई एकपक्षी य कानूनी मामला नहीं है। इसके बजाए, यह केवल लोगों द्वारा चुने गए विकल्पों को पुष्टि करेगा कि उन्होंने यीशु या किसी अन्य स्वामी की सेवा करने का चुनाव किया है (प्रकाशितवाक्य 22:11, 12)। (1,000 वर्षों की समीक्षा के लिए, अध्ययन संदर्शिका देखें 12.)
अंतिम न्याय का तीसरा चरण
6. अंतिम न्याय का तीसरा चरण कब और कहाँ होगा? न्याय के इस चरण में कौनसा नया समूह होगा?
“उस दिन वह जैतून के पर्वत पर पाँव रखेगा, जो पूर्व की ओर यरूशलेम के सामने है। ... तब मेरा परमेश्वर यहोवा आएगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे। ... गेबा से लेकर यरूशलेम के दक्षिण की ओर केरिम्मोन तक सब भूमि अराबा के समान हो जाएगी” (जकर्याह 14:4, 5, 10)। “मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास से उतरते देखा” (प्रकाशितवाक्य 21:2)। “जब हज़ार वर्ष पूरे हो चुकेंगे तो शैतान ... उन जातियों को जो पृथ्वी के चारों ओर होंगी ... भरमा कर लड़ाई के लिये इकट्ठा करने को निकलेगा” (प्रकाशितवा क्य 20:7, 8)।
उत्तर: यीशु के पवित्र नगर के साथ पृथ्वी पर लौटने के बाद, प्रकाशितवाक्य के अध्याय 20 के 1,000 वर्षों के समापन पर न्याय का तीसरा चरण धरती पर होगा। शैतान और उसके स्वर्गदूतों सहित , सारे दुष्ट लोग जो कभी जीवित रहे है, उपस्थित होंगे। 1,000 वर्षों के समापन पर सारे युगों के सारे दुष्ट जी उठाए जाएँगे (प्रकाशितवाक्य 20:5)। शैतान उन्हें धोखा देने के लिए एक शक्तिशाली प्रचार अभियान शुरू करेगा। आश्चर्यजनक रूप से, वह पृथ्वी के राष्ट्रों को विश्वास दिलाने में सफल होगा कि वे पवित्र नगर पर कब्जा कर सकते हैं। दुष्ट पवित्र नगर पर हमला करने की कोशिश करेंगे।
7. आगे फिर क्या होता है?
“वे सारी पृथ्वी पर फैल कर पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी” (प्रकाशितवाक्य 20:9)।
उत्तर: दुष्ट नगर को घेर लेंगे और हमला करने के लिए तैयार होंगे।
8. उनकी लड़ाई कि योजना में क्या बाधा आएगी, और उनके क्या परिणाम होंगे?
“मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसा उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, वैसे ही उनके कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया” (प्रकाशितवाक्य 20:12)। “अवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए” (2 कुरिन्थियों 5:10)। “प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी।’ इसलिये हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा” (रोमियों 14:11, 12)।
उत्तर: अचानक, परमेश्वर नगर के ऊपर प्रकट होता है (प्रकाशितवाक्य 19:11-21)। सत्य का वह क्षण आ गया है। शैतान और उसके स्वर्गदूतों सहित दुनिया की हर खोई हुई आत्मा, अब न्याय में परमेश्वर का सामना करते हैं। राजाओं के राजा पर हर आंख टिकी होगी (प्रकाशितवाक्य 20:12)।
प्रत्येक जीवन की समीक्षा
इस समय, प्रत्येक खोई हुई आत्मा अपने जीवन की कहानी याद करेगी: परमेश्वर की निरंतर, पश्चाताप करने के लिए विनम्र पुकार; वह निवेदन, एक छोटी सी आवाज़; अक्सर आने वाला एक दृढ़ विश्वास; जवाब देने के लिए बार-बार इंकार। सब कुछ याद आएगा। इसकी सटीकता प्रत्यक्ष होगी। इसके तथ्य अचूक होंगे। परमेश्वर चाहता है कि दुष्ट पूरी तरह से समझें। वह सभी चीजों को स्पष्ट करने के लिए वांछित विवरण प्रदान करेगा। किताबें और तथ्य उपलब्ध होंगे।
कुछ भी नहीं छुपाया जाएगा
परमेश्वर, किसी भी चीज को स्वर्गीय रूप से छुपाने में शामिल नहीं है। उसने कोई सबूत नष्ट नहीं किया है। छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। सब कुछ खुला है, और हर व्यक्ति जो कभी जीवित रहा है और सभी अच्छे और बुरे स्वर्गदूत इन घटनाओं के घटनाक्रम को देखेंगे।
खोये हुए अपने घुटनों पर गिरेंगे
अचानक वहाँ पर एक आंदोलन होगा। एक खोई हुई आत्मा अपनी गलतियों को स्वी कारने के लिए अपने घुटनों पर गिर जाएगी और खुले तौर पर कबूल करेगी कि परमेश्वर उसके साथ उचित से अधिक प्रेमी था। उनके अपने जिद्दी गर्व ने उन्हें जवाब देने से रोका था। और अब सभी तरफ, लोग और दुष्ट स्वर्गदूत भी उसी प्रकार से घुटने टेकेंगे (फिलिप्पियों 2:10, 11)। फिर लगभग एक साथ, शैतान समेत सभी शेष लोग और दुष्ट स्वर्गदूत, परमेश्वर को दंडवत करेंगे (रोमियों 14:11)। वे सभी झूठे आरोपों से परमेश्वर के नाम को खुले तौर पर मुक्त करेगें और उनके प्रेमपूर्ण, निष्पक्ष, दयालु व्यवहार की गवाही देंगे।
सभी स्वीकार करेंगे कि सज़ा उचित है:
सभी स्वीकार करेंगे कि उन पर मृत्युदंड की घोषणा उचित है – और पाप से निपटने का एकमात्र सुरक्षित तरीका है। प्रत्येक खोए हुए व्यक्ति के विषय में यह कहा जा सकता है, “तेरे विनाश का तू है” (होशे 13:9)। परमेश्वर तब ब्रह्मांड में न्यायसंगत साबित होता होगा। शैतान के आरोपों और दावों को, एक कठोर पापी के झूठ के रूप में उजागर और अस्वीकार कर दिया जाएगा।
9. कौन से अन्तिम कार्य ब्रह्मांड से पाप को मिटा देंगे और धर्मी लोगों के लिए एक सुरक्षित घर और भविष्य प्रदान करेंगे?
“वे सारी पृथ्वी पर फैल कर पवित्र लोगों की छावनी और प्रिय नगर को घेर लेंगी; और आग स्वर्ग से उतरकर उन्हें भस्म करेगी। उन का भरमानेवाला शैतान आग और गन्धक की उस झील में ... डाल दिया जाएगा” (प्रकाशितवाक्य 20:9, 10)। “दुष्ट ... तुम्हारे पाँवों के नीचे की राख बन जाएँगे” (मलाकी 4:3)। “देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करता हूँ” (यशायाह 65:17)। “हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी” (2 पतरस 3:13)। “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्वर होगा” (प्रकाशितवाक्य 21:3)।
उत्तर: दुष्टों पर स्वर्ग से आग गिरेगी। आग पूरी तरह से पाप और उन लोंगो को जो पाप से प्रेम करते हैं, खत्म
कर देगी। (नरक की आग पर पूरी जानकारी के लिए अध्ययन संदर्शिका 11 देखें।) यह परमेश्वर के लोगों के लिए
गहरी उदासी और आघात का समय होगा। लगभग हर व्यक्ति का नर्क की आग में कोई-न-कोई प्रियजन या मित्र
होगा। पहरा देनेवाले स्वर्गदूत शायद उन लोगों के नाश पर रोएंगे जिनकी उन्होंने रक्षा की थी और वर्षों तक प्रेम
किया था। मसीह उन लोगों पर बिना शक, शोक प्रकट करेगा जिन्हें उसने प्रेम किया और इतने लंबे समय तक
उनसे विनती करता रहा। उस भयानक पल में - हमारे प्यारे पिता की पीड़ा - वर्णन की सभी सीमा को पार करेगी।
नया स्वर्ग और पृथ्वी
तब परमेश्वर अपने द्वारा बचाए गए लोगों (प्रकाशितवाक्य 21:4) के सभी आँसू मिटा देगा और अपने पवित्र लोगों के लिए एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी बनाएगा। और उन सब से भी अच्छा, वह अनंतकाल तक अपने लोगों के साथ वहाँ रहेगा!
10. पुराने नियम के पवित्र स्थान की प्रायश्चित के दिन की सेवकाई, न्याय और ब्रह्मांड से पाप मिटाने की परमेश्वर की योजना और एकता पुनः स्थापना को कैसे दर्शाती है?
उत्तर: अध्ययन संदर्शिका 2 में, हमने सीखा कि शैतान ने परमेश्वर पर झूठा आरोप लगाया और परमेश्वर को चुनौती दी, जिससे ब्रह्मांड में पाप की भद्दी दुष्टता आ गई। प्राचीन इज़राइल में प्रायश्चित के दिन ने प्रतीकों के माध्यम से सिखाया कि परमेश्वर पाप की समस्या से निपटेगा और प्रायश्चित्त के माध्यम से ब्रह्मांड में समानता लाएगा। (प्रायश्चित्त का मतलब है “सभी चीजों को सम्पूर्ण समानता में लाना।”) पृथ्वी पर पवित्र स्थान में, ये प्रतीकात्मक कार्य थे:
क. परमेश्वर का बकरा लोगों के पापों को ढापने के लिए मारा जाता था।
ख. महायाजक प्रायश्चित के ढकने पर लहू से सेवा करता था।
ग. न्याय इस क्रम में होता था:
(1) धर्मी की पुष्टि होती है,
(2) पछतावा न करने वाले अलग कर दिये जाते थे, और
(3) पवित्र स्थान से पाप का निशान मिटा दिया जाता था।
घ. पाप तब बकरे पर रख दिया जाता था।
ङ. बकरे को जंगल में भेज दिया जाता था।
च. पाप लोगों और पवित्र स्थान से शुद्ध किया जाता था।
छ. सभी एक स्वच्छ योजना के साथ नए साल की शुरूआत करते थे।
ये प्रतीकात्मक कार्य ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के ईश्वरीय मुख्यालय, स्वर्गीय पवित्र स्थान से स्थापित प्रायश्चित घटनाओं के प्रतीक हैं। उपरोक्त पहला बिंदु, नीचे दिए गए पहले बिंदु की घटना का प्रतीक है; उपरोक्त दूसरा बिंदु नीचे दूसरे बिंदु का प्रतीक है, इत्यादि । ध्यान दें कि परमेश्वर ने इन महान प्रायश्चित घटनाओं का प्रतीक कै से स्पष्ट किया है: लोगों को लौटा दी जाती है
क. यीशु ने मानव जाति के विकल्प के रूप में बलिदान की मृत्यु पाई (1 कुरिन्थियों 15:3; 5:7)
ख. यीशु, हमारे महायाजक के रूप में, लोगों को परमेश्वर की स्वरूप में पुनःस्थापित करता है (इब्रानियों 4:14-16; रोमियों 8:29)।
ग. न्याय जीवन की पुष्टि करने के लिए अभिलेख प्रदान करता है - अच्छे और बुरे - और फिर स्वर्गीय पवित्र स्थान से पाप के अभिलेख हटा देता है (प्रकाशितवाक्य 20:12; प्रेरितों के काम 3:19-21)।
घ. शैतान पाप पैदा करने और लोगों को पाप करने के लिए अंतिम जिम्मेदारी उठाता है (1 यूहन्ना 3:8; प्रकाशितवाक्य 22:12)।
ङ. शैतान को “अथाह कुण्ड” (प्रकाशितवाक्य अध्याय 20 के 1,000 साल) में डाल दिया गया है।
च. शैतान , पाप, और जो पाप में बने रहते हैं, नाश कर दिए जाते हैं (प्रकाशितवाक्य 20:10; 21:8; भजन संहिता 37:10, 20; नहूम 1:9)।
छ. परमेश्वर के लोगों के लिए एक नई पृथ्वी बनाई जाती है। पाप से खोई सभी अच्छी चीजें परमेश्वर के पवित्र (2 पतरस 3:13; प्रेरितों के काम 3:20, 21)।
प्रायश्चित तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक ब्रह्मांड की सभी चीजें पाप से पहले वाली स्थिति में पुनः-स्थापित नहीं कर दी जाएगी - इस आश्वासन के साथ कि पाप फिर कभी नहीं उभरेगा।
11. इस अध्ययन संदर्शिका में बताए गए न्याय के बारे में अच्छी खबर क्या है?
12. यदि आप यीशु को अपना जीवन प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करते हैं, और उसे नियंत्रण
में रहने की अनुमति देते हैं तो परमेश्वर आपको स्वर्गीय न्याय में दोषमुक्त करने का वादा करता है। क्या आप उसे आज प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे?
आपका उत्तर:
आपके प्रश्नों के उत्तर
1. यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने और उसे परमेश्वर के रूप में स्वीकार करने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर: बहुत महतपूर्ण अंतर है। जब आप उसे उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करते हैं, तो वह आपको अपराध बोध से और दंड से बचाता है, और आपको नया जन्म देता है। वह आपको पापी से पवित्र जन में बदल देता है। यह लेनदेन एक गौरवशाली चमत्कार है और उद्धार के लिए आवश्यक है। इसके बिना कोई भी बचाया नहीं जा सकता है। हालांकि, इस तर्क पर यीशु का काम आपके साथ समाप्त नहीं हुआ है। आप फिर से जन्म लेते हैं, लेकिन उसकी योजना यह है कि आप भी उसके जैसे बनने के लिए बड़े हों (इफिसियों 4:13)। जब आप रोज़ाना अपने जीवन के शासक के रूप में परमेश्वर को स्वीकार करते हैं, तो वह अपने चमत्कारों से आपको मसीह में सिद्ध होने तक अनुग्रह और मसीही आचरण में बढ़ने का कारण बनता है (2 पतरस 3:18)।
समस्या - हमारा अपना रास्ता
समस्या यह है कि हम अपनी इच्छा से जीवन को व्यतीत करना चाहते हैं और अपना रास्ता स्वयं तय करना चाहते हैं। बाइबल इसे “अनैतिकता” बुलाती है - यह है, पाप (यशायाह 53:6)। यीशु को हमारा परमेश्वर बनाना इतना महत्वपूर्ण है कि नया नियम उसे 766 बार “परमेश्वर” के रूप में बताता है। अकेले प्रेरितों के काम की पुस्तक में, उन्हें 110 बार “परमेश्वर” के रूप में संदर्भित किया गया है और “उद्धारकर्ता ” के रूप में केवल दो बार कहा गया है। यह दर्शाता है कि उसे अपने जीवन के परमेश्वर और शासक के रूप में जानना कितना महत्वपूर्ण है।
एक उपेक्षित अनिवार्यता - उसे परमेश्वर बनाना
यीशु ने अपने प्रभुत्व पर निरंतर जोर दिया क्योंकि वह जानता था कि उसे ताज पहनाया जाना, एक भूली हुई और उपेक्षित अनिवार्यता होगी (2 कुरिन्थियों 4:5)। जब तक हम उसे अपने जीवन का परमेश्वर नहीं बनाते, तब तक कोई भी तरीका नहीं है जिससे हम मसीह की धार्मिकता का वस्त्र पहन कर सिद्ध मसीही बन सके । बल्कि , हम “दुखी, गरीब, अंधे और नग्न” ही रहेंगे, और इससे भी बदतर, हम यह महसूस करेंगे कि “मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं” (प्रकाशितवाक्य 3:17)।
2. चूंकि परमेश्वर के लोगों के पापों के अभिलेख को प्रायश्चित्त के दिन बकरे में स्थानांतरित कर दिया जाता था, क्या इससे हम, परमेश्वर को, अपने पाप ढ़ोने वाला नहीं बनाते? क्या यीशु अकेले हमारे पापों को सहन नहीं करता था?
उत्तर: बलि का बकरा, जो शैतान का प्रतीक है, किसी भी तरह से हमारे पाप वहन या उसके लिए भुगतान नहीं करता है। परमेश्वर का बकरा, जिसे प्रायश्चित के दिन बलि चढ़ाया जाता था, यीशु का प्रतीक है, जिसने कलवरी पर हमारे पापों का बोझ ढोया और भुगतान किया। अकेले यीशु “जगत का पाप उठा ले जाता है” (यूहन्ना 1:29)। शैतान को दंडित किया जाएगा (जैसा कि अन्य सभी पापियों को - प्रकाशितवाक्य 20:12-15) उसके अपने पापों के लिए, (1) जिसमें पाप के अस्तित्व की जिम्मेदारी (2) उसके अपने बुरे कर्म, और (3) पृथ्वी पर पाप करने के लिए, हर व्यक्ति को प्रभावित करना शामिल होगी। परमेश्वर स्पष्ट रूप से उसे बुराई के लिए जिम्मेदार ठहराएगा। प्रायश्चित्त के दिन, बकरे (शैतान) पर सारे इस्राएली लोगों के पापों को प्रतीकात्मक रूप से हस्तांतरण किये जाने को व्यक्त करना था।
3. बाइबल स्पष्ट है कि परमेश्वर उन सभी पापों को क्षमा करता है जिन्हें स्वीकार किया जाता है (1 यूहन्ना 1:9)। यह भी स्पष्ट है कि , हालांकि क्षमा किया गया, इन पापों का लेखा स्वर्ग की किताबों पर समय के अंत तक रहेगा है (प्रेरितों के काम 3:19-21)। क्षमा किए जाने पर पाप क्यों मिटाये नहीं जाते?
उत्तर: एक बहुत अच्छा कारण है। स्वर्गीय न्याय तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि दुष्टों का न्याय न हो जाए - यह दुनिया के अंत में उनके विनाश से तुरंत पहले होगा। अगर परमेश्वर ने न्याय के अंतिम चरण से पहले अभिलेख नष्ट कर दिए, तो उन पर सच्चाई छिपाने का भारी आरोप लगाया जा सकता था। कामों के सभी तथ्य न्याय पूरा होने तक देखने के लिए खुले रहते हैं।
4. कुछ कहते हैं कि न्याय क्रूस पर हुआ था। दूसरों का कहना है कि यह मृत्यु पर होता है। क्या हम समय के विषय में, निश्चित हो सकते हैं कि न्याय का समय जैसा कि इस अध्ययन संदर्शिका में दिखाया गया है सही है?
उत्तर: हाँ। हम न्याय के समय के बारे में निश्चित हो सकते हैं, क्योंकि परमश्वेर ने इसे स्पष्ट रूप से दानिय्येल अध्याय 7 में तीन बार विस्तृत किया है। परमेश्वर के निश्चित समय पर ध्यान दें; वह अनिश्चितता के लिए कोई जगह नहीं छोड़ता है। इस अध्याय में ईश्वरीय अनुक्रम (पद 8-14, 20-22, 24-27) में कहा गया है कि:
क. छोटे सींग ने 538 - 1798 ई. तक शासन किया। (अध्ययन संदर्शिका देखें 15.)
ख. न्याय 1798 (1844 में) के बाद शुरू हुआ और यीशु के दूसरे आगमन तक जारी रहेगा।
ग. परमेश्वर का नया साम्राज्य - न्याय के अंत में स्थापित होगा
परमेश्वर यह स्पष्ट करता है कि न्याय मृत्यु या क्रूस पर नहीं होता है, लेकिन 1798 और यीशु के दुसरे आगमन के बीच होगा। याद रखें कि पहला स्वर्गदूत का संदेश का एक भाग यह है कि, “उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है” (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7)। परमेश्वर के अंत-समय के लोगों को परमेश्वर को महिमा देने के लिए दुनिया को बताना चाहिए क्योंकि अंतिम न्याय अब चल रहा है!
5. न्याय के बारे हमारे इस अध्ययन से हम क्या अहम सबक सीख सकते हैं?
उत्तर: निम्नलिखित पांच बिंदुओं पर ध्यान दें:
क. परमेश्वर कार्य करने से पहले एक लंबा समय लगा सकता है, लेकिन उसका समय सही है। कोई भी खोया हुआ व्यक्ति कभी भी “मुझे समझ में नहीं आया” या “मुझे नहीं पता था” कहने में सक्षम नहीं होगा।
ख. शैतान और सभी प्रकार की बुराई, अंततः न्याय में परमश्वेर द्वारा निपटाई जाएगी। चूँकि अंतिम न्याय परमश्वेर का काम है और उसके पास सभी तथ्य हैं, इसलिए हमें दूसरों का न्याय करना बंद कर देना चाहिए और उसे ऐसा करने देना चाहिए। परमेश्वर के न्याय के काम पर कब्ज़ा करना एक गंभीर बात है। यह उसके अधिकार को हड़पने वाली बात है।
ग. परमेश्वर हमें यह तय करने के लिए स्वतंत्र छोड़ देता है कि हम उससे कैसे संबंध रखते हैं और हम किसकी सेवा करते हैं। हालांकि, जब हम उसके वचन के विपरीत चुनाव करते हैं, तो हमें गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना चाहिए।
घ. परमेश्वर हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमें अंत के समय के मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए दानिय्येल और प्रकाशितवाक्य की किताबें दी हैं। हमारी एकमात्र सुरक्षा उनको सुनकर और इन महान भविष्यवाणियों की किताबों से उसकी सलाह का पालन करने में है।
ङ. शैतान हममें से प्रत्येक को नष्ट करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उसकी धोखाधड़ी की रणनीतियाँ इतनी प्रभावी और इतनी भरोसेमंद हैं कि कुछ ही लोगों को छोड़कर, बाकी सब फँस जाएँगे। शैतान के जाल से हमें बचाने के लिए प्रतिदिन यीशु की पुनरुत्थान की शक्ति के हमारे जीवन में काम किये बिना, हम शैतान द्वारा नष्ट किये जाएँगे।
सारांश पत्र
1. अंतिम न्याय के कितने चरण हैं? (1)
_____ छः
_____ एक।
_____ तीन।
2. न्याय के पहले चरण के बारे में सच्ची बातों को चिन्हित करें।(7)
_____ यह आगमन से पहले का न्याय है।
_____ यह 1844 में शुरू हुआ।
_____ यह अभी चल ही रहा है।
_____ शैतान आरोपी है।
_____ स्वर्गदूत जिब्राएल न्यायाधीश है।
_____ परमेश्वर अध्यक्षता करता है।
_____ भविष्यवक्ता योना ने भविष्यवाणी की थी।
_____ परमेश्वर की व्यवस्था इसकी मापक है।
_____ उन लोगों के जीवन पर विचार करेगा जिन्होंने मसीही होने का दावा किया है।
3. कौन सी बातें न्याय के दूसरे चरण के बारे में सच्चाई बताता है, जो 1000 वर्षों के दौरान होगा? (3)
_____ सभी युग के धर्मी उपस्थित होंगे।
_____ शैतान लगातार अदालत की कार्यवाही में बाधा डालेगा।
_____ सभी सहमत होंगे कि शैतान की सजा न्यायपूर्ण है।
_____ शैतान के स्वर्गदूतों को माफ़ कर दिया जाएगा।
_____ दुष्ट अपने अधिकार मांगेंगे।
_____ धर्मी लोग सीखेंगे कि उनके कुछ दोस्त क्यों खो गए हैं।
4. यीशु तीन क्षमता ओं में काम करेगा। वे क्या हैं? (3)
_____ न्यायाधीश।.
_____ गवाह।
_____ अमीन (बैलिफ)।
_____ अदालत का मुंशी ।
_____ बचाव पक्ष का वकील।
5. दुष्ट लोग पवित्र शहर को चारों ओर से घेरने के बाद 1,000 साल की समाप्ति के करीब न्याय के लिए उपस्थित होंगे। (1)
_____ हाँ।
_____ नहीं।
6. परमेश्वर हर खोए हुए व्यक्ति और स्वर्गदूत को यह स्पष्ट कर देगा कि वह क्यों खो गया है। (1)
_____ हाँ।
_____ नहीं।
7.न्याय के किस चरण, में हर व्यक्ति (अच्छा और बुरा) जो कभी रहता था, साथ ही सभी दुष्ट स्वर्गदूतों और शैतान , व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे? (1)
_____ पहला चरण - वर्तमान आगमन से पूर्व के न्याय में।
_____ दूसरा चरण - 1000 वर्षों के दौरान।
_____ तीसरा चरण- 1,000 वर्षों की समाप्ति पर।
8. स्वर्ग के न्याय में अभिलेख किताबों की ज़रूरत क्यों है? (1)
_____ तथ्यों से परमेश्वर को सूचित करने के लिए।
_____ परमेश्वर को याद दिलाने के लिए कि जो वह भूल गया है।
_____ स्वर्गदूतों को कुछ काम देने के लिए।
_____ लोगों, स्वर्गदूतों और अन्य संसारों के निवासियों की सहायता करके परमेश्वर के निष्पक्ष और धार्मिक प्रबंधन को समझने के लिए।
9. “प्रायश्चित” का अर्थ है “सभी चीजों को संपूर्ण समानता में लाना ।” नीचे दी गयी कौन सी चीजें महान स्वर्गीय प्रायश्चित का हिस्सा हैं? (5)
_____ क्रूस पर यीशु की मृत्यु।
_____ न्याय।
_____ हमारे महायाजक के रूप में यीशु की सेवा।
_____ नूह के दिनों की बाढ़।
_____ शेर की मांद में दानिय्येल।
_____ पाप और पापियों का अंतिम विनाश।
_____ नए आकाश और एक नई पृथ्वी का निर्माण।
10. न्याय में कौन सी चीजें अच्छी खबर हैं? (5)
_____ न्याय संतों के पक्ष में तय किया जाएगा।
_____ शैतान नरक में हमेशा के लिए जलता रहेगा।
_____ पाप फिर से शुरू नहीं होगा।
_____ पाप दूर भविष्य में फिर से शुरू हो सकता है।
_____ यीशु हमारा न्यायाधीश, वकील और गवाह है।
_____ पाप और उद्धार से निपटने की परमेश्वर की विधि पूरी तरह से सिद्ध की जाएगी।
_____ आदम और हव्वा ने जो कुछ खोया उसे फिर पुनः- स्थापित कर दिया जाएगा।
11. शैतान के बारे में, उसके बलि की बकरे के रूप में, न्याय की सच्चाई क्या है? (3)
_____ उसे पाप की उत्पत्ति के लिए दंडित किया जाएगा।
_____ उसे हर व्यक्ति को पाप में लाने के लिए दंडित किया जाएगा।
_____ हमारे पापों के भुगतान से उसका कुछ लेना देना नहीं है।
_____ शैतान बलि का बकरा बनने से इंकार कर देगा और बच कर भाग जाएगा।
12. न्याय मनमाने ढंग से नहीं होगा। इसके बजाए, यह मूल रूप से उन विकल्पों की पुष्टि करता है जिन्हें लोगों ने पहले से ही यीशु की सेवा करने या किसी अन्य स्वामी को चुनने के लिए बनाया है।(1)
_____ हाँ।
_____ नहीं।
13.न्याय का मुख्य उद्देश्य लोगों, शैतान , अच्छे और बुरे स्वर्गदूतों और अन्य दुनिया के निवासियों को स्पष्ट करना है कि परमेश्वर ने पाप की त्रासदी को बुद्धिमानी से, समझदारी से और धार्मिक रूप से उसके आरंभ से नियंत्रित किया है। (1)
_____ हाँ।
_____ नहीं।
14.परमेश्वर आपको स्वर्गीय न्याय मै दोषमुक्त करने का वादा करता है यदि आप उसे अपने जीवन में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे और उसे स्वयं को नियंत्रण में रखने की अनुमति देंगे। क्या आप उसे आज अपने जीवन में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे?
_____ हाँ।
_____ नहीं।