“फिर वह नासरत में आया , जहाँ पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन अराधनालय में जाकर पढ़ने के लिए खड़ा हुआ।” (लूका 4:16)।
उत्तर: यीशु की परंपरा सब्त के दिन स्तुति करना था।
2. परन्तु इतिहास का कौन सा दिन खो गया है?
“परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिए विश्रामदिन है” (निर्गमन 20:10)। “जब सब्त का दिन बीत गया ... सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर जब सूर]कला ही था, वे कब्र पर आईं” (मरकुस 16:1, 2)।
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए थोड़ा सा जासूसी कार्य आवश्यक है। बहुत से लोग मानते हैं कि सब्त, सप्ताह का पहला दिन (रविवार) है, लेकिन बाइबल वास्तव में कहती है कि सब्त वह दिन है जो सप्ताह के पहले दिन से पहले आता है। पवित्रशास्त्र के अनुसार, सब्त सप्ताह का सातवाँ दिन (शनिवार) है।
3. सब्त कहाँ से आया ?
“आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। ... और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया , और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया । और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया ” (उत्पत्ति 1:1; 2:2, 3)|
उत्तर: परमेश्वर ने सब्त को सृष्टि के समय में बनाया, जब उसने इस जगत को बनाया। उसने सब्त के दिन विश्राम किया और उसे आशीष दी तथा पवित्र ठहराया - यानी, उसने इसे पवित्र उपयोग के लिए अलग कर दिया।
4. दस आज्ञाओं में सब्त के बारे में परमेश्वर क्या कहता है?
“तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना। छः दिन तो तू विश्राम करके अपना सब काम-काज करना, परन्तु सातवाँ दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिए विश्रामदिन है। उसमें न तो तू किसी भाँति का काम-काज करना, और न तेरे बेटा, और न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेसी जो तेरे फाटकों के भीतर हो। क्योंकि छः दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी , और समुद्र, और जो कुछ उसमें है, सब को बनया , और सातवें दिन विश्राम किया , इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया ” (निर्गमन 20:8-11)। “और यहोवा ने मुझे अपने ही हाथ की लिखी हुई पत्थर की दोनों पट्टियों को सौप दिया , और वे ही वचन तुम्हें यहोवा ने पर्वत के ऊपर आग के मध्य में से सभा के दिन तुम से कहे थे वे सब उन पर लिखे हुए थे” (व्यवस्थाविवरण 9:10)।
उत्तर: दस आज्ञाओं की चौथी आज्ञा में, परमेश्वर कहता है कि हम सातवें दिन, सब्त, को उसके पवित्र दिन के रूप में मानें। ऐसा लगता है कि परमेश्वर जानते थे कि लोग उसके सब्त को भूलने के इच्छुक होंगे, इसलि ए उन्होंने इस आज्ञा को “स्मरण रखना” से शुरू किया।
5. परन्तु क्या दस आज्ञाएँ बदल नहीं दी गई हैं?
निर्गमन 20:1 के अनुसार, “तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे, [दस आज्ञाएँ 2-17 पदों में हैं]।” परमेश्वर ने कहा, “मैं अपनी वाचा न तोडूंगा, और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा” (भजन संहिता 89:34)। यीशु ने कहा, “आकाश और पृथ्वी का टल जाना व्यवस्था के एक बि न्दु के मिट जाने से सहज है” (लूका 16:17)।
उत्तर: नहीं, वास्तव में! परमेश्वर के किसी भी नैतिक आज्ञा को बदलना असंभव है। सभी दस आज्ञाएँ अभी भी बाध्यकारी है। जैसे की अन्य नौ आज्ञाएँ नहीं बदली हैं वैसे ही चौथी आज्ञा भी नहीं बदली गई है।
6. क्या प्रेरितों ने सातवें दिन को सब्त माना?
“पौलुस अपनी रीति के अनुसार उनके पास गया , और तीन सब्त के दिन पवित्र शास्त्रों से उनके साथ वाद -विवाद किया ” (प्रेरितों के काम 17:2)। “पौलुस और उसके साथी ... सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठ गए” (प्रेरितों के काम 13:13, 14)। “सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझ कर गए कि वहाँ प्रार्थना करने का स्थान होगा, और बैठकर उन स्त्रियों से जो इकठ्ठी हुई थीं, बातें करने लगे” (प्रेरितों के काम 16:13)। “[पौलुस] वह हम एक सब्त के दिन अराधनालय में वाद -विवाद करके यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था” (प्रेरितों के काम 18:4)।
उत्तर: हाँ। प्रेरितों की किताब यह स्पष्ट करती है कि पौलुस और प्रारंभिक चर्च ने सब्त को माना था।
7. क्या गैर-यहूदी भी सातवें दिन सब्त के दिन अराधना करते थे?
परमेश्वर ने कहा,“क्या ही धन्य है वह मनुष्य ... जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है। ... परदेसी भी जो यहोवा के साथ इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें ... जितने विश्रामदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा का पालन करते हैं, उनको मैं अपने पवित्र पर्वत ले आकर अपने प्रर्थना के भवन में आनन्दित करूँगा, ... क्योंकि मेरा भवन सब देशों के लोगों के लिए प्रर्थना का घर कहलाएगा” (यशाया ह 56:2, 6, 7, जोर दिया गया है)। प्रेरितों ने यह सिखाया : “उनके [यहूदी] बाहर निकले समय लोग [अन्य जाती] उनसे विनती करने लगे कि अगले सब्त के दिन ये बातें फिर सुनायी जाएँ” (प्रेरितों के काम 13:42, 44, जोर दिया गया है)। “वह हर एक सब्त के दिन आराधनालय में वाद -विवाद करके दोनों या यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था” (प्रेरितों के का म 18:4, जोर दिया गया )।
उत्तर: प्रारंभिक चर्च में प्रेरितों ने न केवल परमेश्वर के सब्त के आदेश का पालन किया, बल्कि उन्होंने परिवर्तित अन्य जातियों के लोगों को सब्त के दिन उपासना करना भी सिखाया।
8. परन्तु क्या सब्त का दिन रविवार में नहीं बदला गया था?
उत्तर: नहीं। शास्त्रों में कहीं भी कोई सुझाव नहीं है कि यीशु, उसके पिता, या प्रेरितों ने किसी भी समय किसी भी परिस्थिति में पवित्र सातवें दिन के सब्त को किसी अन्य दिन में बदल दिया। दरअसल, बाइबल इसके विपरीत सि खाती है। सबूतों पर स्वयं विचार करें:
क. परमेश्वर ने सब्त को आशीष दी। “यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया” (निर्गमन 20:11)। “परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया” (उत्पत्ति 2:3)।
ख. मसीह ने अपेक्षा की थी कि लोग सब्त को 70 ई. में भी मानेंगे जब यरूशलेम को नष्ट किया गया था। यह अच्छी तरह से जानते हुए कि 70 ई. में यरूशलेम को नष्ट कर दिया जाएगा यीशु ने उस समय के अपने अनुयायियों को यह कह कर चेतावनी दी “प्रार्थना किया करो कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े” (मत्ती 24:20 , जोर दिया गया )। यीशु ने यह स्पष्ट किया कि उसके लोग उसके पुनरुत्थान के 40 साल बाद भी सब्त को मानते रहेंगे।
ग. जो महिलाएँ मसीह की देह को सुगन्धित वस्तुओं से अभिषेक करने आईं थीं, उन्होंने भी सब्त पालन किया था। यीशु “सब्त के एक दिन पहले” (मरकुस 15:37, 42) मरा था, जिसे अक्सर “गुड फ्राइडे” कहा जाता है। महिलाओं ने मसालों और मलहमों को उसकी शरीर की आभिषेक करने के लिए तैयार किया, फिर “सब्त के दिन उन्होंने आज्ञा के अनुसार विश्राम किया” (लूका 23:56)। सिर्फ तब “जब सब्त का दिन बीत गया” (मरकुस 16:1), महिलाएँ “सप्ताह के पहले दिन” आईं (मरकुस 16:2) कि वे अपना दुःखद काम को जारी रखे। फिर उन्होंने पाया कि “सप्ताह के पहले दिन भोर होते ही वह जी उठ” गया था (पद 9) जिसे आमतौर पर “ईस्टर रविवार” कहा जाता है। कृपया ध्यान दें कि “आज्ञा के अनुसार” सब्त ईस्टर रविवार से पहले का दिन था, जिसे अब हम शनिवार कहते हैं।
ङ.प्रेरितों के काम के लेखक लूका, उपासना के दिन में किसी भी तरह के बदलाव का उल्लेख नहीं करते हैं। परिवर्तन का कोई बाइबल दस्तावेज़ नहीं है। प्रेरितों की किताब में, लूका ने कहा कि उन्हों ने यीशु की “सभी” शिक्षाओं के (प्रेरितों के काम 1:1-3) के बारे में अपनी सुसमाचार (लुका की पुस्तक) में लिखा है। लेकिन उन्होंने सब्त के परिवर्तन के बारे में कभी नहीं लिखा। परमेश्वर के अनन्त राज्य में हर कोई सब्त को पवित्र रखेगा।
9. कुछ लोग कहते हैं कि सब्त को परमेश्वर की नई पृथ्वी में भी पालन किया जाएगा। क्या ये सच है?
परमेश्वर ने कहा, “क्योंकि जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी , जो मैं बनाने पर हूँ, मेरे सम्मुख बनी रहेगी, उसी प्रकार तुम्हारा वंश और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा, यहोवा की यही वाणी है। फिर ऐसा होगा कि एक नए चाँद से दसूरे नए चाँद के दिन तक और एक विश्रामदिन से दूसरे विश्रामदिन तक समस्त प्राणी मेरे सामने दण्डवत करने को आया करेंगे, यहोवा का यही वचन है” (यशायाह 66:22, 23)।
उत्तर: हां। बाइबल कहती है कि सभी युगों के बचाए गए लोग नई पृथ्वी में सब्त का पालन करेंगे।
10. परन्तु क्या रविवार परमेश्वर का दिन नहीं है?
“विश्रामदिन को आनन्द का दिन और यहोवा का पवित्र किया हुआ दिन समझ कर माने” (यशायाह 58:13)। “मनुष्य का पुत्र तो सब्त के दिन का भी प्रभु है” (मत्ती 12:8)।
उत्तर: बाइबल प्रकाशितवाक्य 1:10 में “प्रभु के दिन” की बात करती है, इसलिए परमेश्वर के पास एक विशेष दिन है। परन्तु पवित्रशास्त्र की कोई पंक्ति रविवार को प्रभु के दिन के रूप में संदर्भित नहीं करती है। इसके बजाय, बाइबल स्पष्ट रूप से सातवें दिन के सब्त को प्रभु के दिन के रूप में पहचानती है। एकमात्र दिन जिसे परमेश्वर ने आशीष दी है और दावा किया है कि वह उसका अपना, सातवें दिन वाला सब्त है।
11. क्या हमें मसीह के पुनरुत्थान के सम्मान में रविवार को पवित्र नहीं रखना चाहिए?
“क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जिन्होंने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया , उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया । अतः उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ता कि जैसे मसीह पिता की महीमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया , वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे। हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, और हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।” (रोमियों 6:3-6)।
उत्तर: नहीं! बाइबल कभी भी पुनरुत्थान के सम्मान में या किसी अन्य कारण से रविवार के दिन को पवित्र रखने का सुझाव नहीं देती है। हम उसके प्रत्यक्ष आज्ञाओं का पालन करके मसीह का सम्मान करते हैं (यूहन्ना 14:15) – न की उसके अनन्त व्यवस्था के स्थान पर मानव निर्मित परंपराओं को प्रतिस्थापित करके ।
12. ठीक है, यदि रविवार पालन, बाइबल में नहीं है, तो यह किसका सुझाव था?
“वह ... समयों और व्यवस्था बदल देने की आशा करेगा” (दानिय्येल 7:25)। “अपनी परम्परा के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया । ... और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं” (मत्ती 15:6, 9)। “उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खाँच कर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है, ... उसके भविष्यद्वक्ता उनके लिए कच्ची लेसाई करते हैं, ... झूठी भावी बताते हैं कि ‘प्रभु यहोवा यों कहता है’” (यहेजकेल 22:26, 28)।
उत्तर: यीशु के पुनरुत्थान के लगभग 300 साल बाद तथा आंशिक रूप से यहूदियों के प्रति घृणा के कारण, गुमराह लोगों ने सुझाव दिया कि परमेश्वर का पवित्र दिन शनिवार से रविवार में बदला जा सकता है। परमेश्वर ने इसकी भविष्यवाणी की थी और ऐसा हुआ। यह त्रुटि हमारे पीढ़ी को ‘तथ्य’ के रूप में बताया गया है। हालांकि, रविवार-पालन के वल मनुष्य की परंपरा है और परमेश्वर की व्यवस्था को तोड़ती है, जो सब्त-पालन की आज्ञा देती है। केवल परमेश्वर ही एक दिन पवित्र कर सकते हैं। परमेश्वर ने सब्त को आशीष दी, और जब परमेश्वर आशीष देता है, तो कोई भी व्यक्ति इसे “पलट नहीं सकता” (गिनती 23:20)।
13. परन्तु क्या परमेश्वर की व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ करना खतरनाक नहीं है?
“जो आज्ञा में तुम को सुनाता हूँ उनमें न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना, तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूँ उन्हें तुम मानना” (व्यवस्थाविवरण 4:2)। “परमेश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है, ... उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डाँटे और तू झूठा ठहरे” (नीतिवचन 30:5, 6)।
उत्तर: परमेश्वर ने लोगों को उसकी व्यवस्था को बदलने से मना किया है, चाहे जोड़ कर या घटा कर। परमेश्वर की व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ करना सबसे खतरनाक चीजों में से एक है जो एक व्यक्ति कर सकता है, क्योंकि परमेश्वर की व्यवस्था निर्दोष है और हमें बुराई से बचाने के लिए बनाई गई है।
14. फिर परमेश्वर ने सब्त को क्यों बनाया ?
क. सृष्टि का चिन्ह । “तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना। ... क्योंकि छः दिन में यहोवा ने आकाश और पृथ्वी , और समुद्र, और जो कुछ उनमें है, सब को बनाया , और सातवें दिन विश्राम किया, इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उस को पवित्र ठहराया ” (निर्गमन 20:8, 11)।
ख. उद्धार और पवित्रीकरण का चिन्ह । “फिर मैंने उनके लिए अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिन्ह ठहरे, कि वे जानें कि मैं यहोवा उनका पवित्र करने वाला हूँ” (यहेजकेल 20:12)।
उत्तर: परमेश्वर ने सब्त को दो संकेतों के रूप में दिया: (1) यह इस बात का चिन्ह है कि उसने छः दिनों में जगत की सृष्टि की, और (2) यह उद्धार करने और शुद्ध करने की परमेश्वर की महान सामर्थ का भी चिन्ह है। सातवें दिन के सब्त को, परमेश्वर की सृष्टि और उद्धार के अनमोल चिन्ह के रूप में, प्रेम करना, मसीहों की प्राकृतिक प्रतिक्रिया है (निर्गमन 31:13, 16, 17; यहेजकेल 20:20)। परमेश्वर के सब्त के दिन को तुच्छ जानना बहुत अपमानजनक है। यशायाह 58:13, 14, में परमेश्वर कहता है जो कोई भी आशीषित होना चाहता है वह उसके पवित्र दिन में अपना काम न करे।
15. सब्त को पवित्र रखना कितना महत्वपूर्ण है?
“पाप तो व्यवस्था का विरोध है [आज्ञा का उल्लंघन]” (1 यूहन्ना 3:4)। “पाप की मजदूरी तो मृ त्यु है” (रोमियों 6:23)। “क्योंकि जो कोई सारी व्यवस्था का पालन करता है, परन्तु एक ही बात में चूक जाए तो वह सब बायों में दोषी ठहर चुका है” (याकूब 2:10)। “और तुम इसी के लिए बुलाए भी गए हो, क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिए दुःख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद चिन्हों पर चलो” (1 पतरस 2:21)। “और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा माननेवालों के लिए सदा काल के उद्धार का कारण हो गया ” (इब्रानियों 5:9)।
उत्तर: यह जीवन और मृत्यु का विषय है। सब्त को परमेश्वर की व्यवस्था की चौथी आज्ञा के द्वारा संरक्षित और कायम किया गया। दस आज्ञाओं में से किसी भी एक को जानबूझकर तोड़ना पाप है। मसीही खुशी से ख्रीस्त के सब्त पालन के उदाहरण का अनुसरण करेंगे।
16. सब्त को अनदेखा करने वाले धार्मिक अगुओं के बारे में परमेश्वर कैसा महसूस करता है?
“उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खाँचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध-अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिन्त रहते हैं, जिससे मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूँ। ... इस कारण मैंने उन पर अपना रोष भड़काया ” (यहेजकेल 22:26, 31)।
उत्तर: यद्यपि कुछ धार्मिक अगुए हैं जो रविवार को पवित्र रखते हैं क्योंकि वे नहीं जानते हैं, जो जानबूझकर ऐसा करते हैं वे उसे अपवित्र करते हैं जिसे परमेश्वर ने पवित्र ठहराया है। परमेश्वर के सच्चे सब्त से अपनी आंखों को छिपाने से, कई धार्मिक नेताओं ने दूसरों से भी इसे अपवित्र कराया है। इस विषय पर करोड़ों लोगों को गुमराह कर दिया गया है। अपनी परम्पराओं से दस आज्ञाओं में से एक कोटाल कर परमेश्वर से प्रेम का ढोंग करने के लिए यीशु ने फरीसियों को फटकारा (मरकुस 7:7-13)।
17. क्या सब्त पालन वास्तव में लोगों को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है?
“यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे” (यूहन्ना 14:15)। “इसलिए जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता उसके लिए यह पाप है” (याकूब 4:17)। “धन्य हैं वे जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मि लेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे” (प्रकाशितवाक्य 22:14)। “तब उसने [यीशु] ने उन से कहा, ‘सब्त का दिन मनुष्य के लिए बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्त के लिए’” (मरकुस 2:27)।
उत्तर: हाँ! सब्त परमश्वेर का एक उपहार है, जिसने इसे आपके लिए संसार से विश्राम के लिए बनाया है! यह स्वाभाविक है कि जो लोग उससे प्यार करते हैं वे उसके सब्त आज्ञा पालन करना चाहेंगे। दरअसल, आज्ञा-पालन के बिना प्रेम वास्तव में प्रेम नहीं है (1 यूहन्ना 2:4)। यह एक निर्णय है जिसे हम सभी को लेना है, और हम इससे बच नहीं सकते हैं। अच्छी खबर यह है कि सब्त पालन का चुनाव करना अपको बहुतायत से आशीष दोगा! सब्त के दिन, आप अपराधबोध मुक्त होकर दैनिक गतिविधियों, जैसे काम और खरीदारी करना छोड़ सकते हैं और इसके बजाय, ब्रह्मांड के निर्माता के साथ समय बिता सकते हैं। अन्य विश्वासियों के साथ परमेश्वर की स्तुति करना, परिवार के साथ समय बिताना, प्रकृति में चलना, आत्मिक रूप से उत्थान करने वाले सामग्री पढ़ना, और यहाँ तक कि बीमारों को प्रोत्साहित करना, सब्त को पवित्र रखने के सभी अच्छे तरीके हैं। छः दिनों के काम के तनाव के बाद, परमेश्वर ने आपको अपने श्रम से विश्राम करने और अपनी आत्मा को स्वस्थ करने के लिए सब्त का उपहार दिया है। आप भरोसा कर सकते हैं कि वह जानता है कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है!
18. क्या आप परमेश्वर के सातवें दिन के सब्त को पवित्र रखकर उसका सम्मान करना चाहते हैं?
आपका उत्तर:
आपके प्रश्नों के उत्तर
1. परन्तु क्या सब्त सिर्फ यहूदियों के लिए नहीं है?
उत्तर: नहीं। यीशु ने कहा, “सब्त का दिन मनुष्य के लिए बनाया गया है” (मरकुस 2:27)। यह सिर्फ यहूदियों के लिए नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है - हर जगह के सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए है। सब्त के स्थापित होने के 2,500 साल बाद तक यहूदी राष्ट्र अस्तित्व में भी नहीं था।
2. क्या प्रेरितों के काम 20:7-12 यह प्रमाणित नहीं करता है कि शिष्यों ने रविवार को पवित्र दिन के रूप में माना?
उत्तर: बाइबल के अनुसार, प्रत्येक दिन सूर्यास्त से शुरू होता है और अगले सूर्यास्त (उत्पत्ति 1:5, 8, 13, 19, 23, 31; लैव्यवस्था 23:32) पर समाप्त होता है, और दिन का अंधेरा हिस्सा पहले आता है। तो सब्त शुक्रवार की रात सूर्यास्त में शुरू होता है और शनिवार की रात सूर्यास्त में समाप्त होता है। प्रेरितों के काम 20, में बैठक की चर्चा को रविवार के अंधेरे हिस्से पर आयोजित किया गया था, या जिसे हम अब शनिवार की रात कहते हैं। यह शनिवार की रात की बैठक थी, और यह मध्यरात्रि तक चली। पौलुस विदाई दौरे पर था और जानता था कि वह इन लोगों को फिर से नहीं देख पाएगा (पद 25)। कोई आश्चर्य नहीं कि उसने इतने लंबे समय तक प्रचार किया! (कोई नियमित साप्ताहिक सेवा पूरी रात नहीं चलती होती।) पौलुस “अगले दिन जाने के लिए तैयार” था (पद 7)। रोटी तोड़ने का कोई विशेष महत्व नहीं है, क्योंकि उन्होंने प्रतिदिन रोटी तोड़ी (प्रेरितों के काम 2:46)। इस पद में कोई संकेत नहीं है कि पहला दिन पवित्र है, न ही इन प्रारंभिक मसीहियों ने इसे माना। न ही कोई प्रमाण है कि सब्त बदल गया था। (संयोग से, इस बैठक का उल्लेख शायद मरने के बाद युतुखुस के चमत्कारिक रूप से जी उठने के कारण किया गया है।) यहेजके ल 46:1 में, परमेश्वर रविवार को छः “कामकाजी दिनों” में से एक के रूप में संदर्भित करता है।
3. क्या 1 कुरिन्थियों 16:1, 2 रविवार स्कूल के चंदे की बात नहीं करते?
उत्तर: नहीं। सार्वजनिक स्तुति बठैक का यहाँ कोई सन्दर्भ नहीं दिया गया। पैसा घर पर निजी तौर पर अलग रखा जाना था। पौलुस यरूशलेम में अपने गरीबी से पीड़ित भाइयों की सहायता के लिए एशिया माइनर में चर्चों को पत्र लिख रहा था (रोमियों 15:26-28)। सभी मसीहियों ने सब्त को पवित्र रखा, इसलिए पौलुस ने सुझाव दिया कि रविवार की सुबह, सब्त के खत्म होने के बाद, अपने ज़रूरतमंद भाइयों के लिए कुछ अलग रख दें ताकि उसके आने पर उनके हाथों में कुछ पैसा रहे। यह निजी तौर पर किया जाना था – दूसरे शब्दों में, अपने घर पर। रविवार को एक पवित्र दिन के रूप में यहाँ कहीं वर्णित नहीं किया गया है।
4. परन्तु क्या मसीह के समय के उपरान्त समय लुप्त और सप्ताह के दिन बदल नहीं गए है?
उत्तर: नहीं। विद्वान और इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि हालांकि कैलेंडर बदल गया है, साप्ताहिक सात दिवसीय चक्र कभी नहीं बदला है। इसलिए, आप निश्चित हो सकते हैं कि हमारा सातवाँ दिन वही सातवाँ दिन है जिसे यीशु ने पवित्र रखा!
5. क्या यूहन्ना 20:19 इस बात का लेख नहीं है कि शिष्यों ने रविवार को पुनरुथान के सम्मान में स्थापित किया ?
उत्तर: नहीं। इस समय शिष्यों को विश्वास नहीं था कि पुनरुथान हो चुका था। वे वहाँ “यहूदियों के डर के कारण इकठ्ठे हुए थे।” जब यीशु उनके बीच में प्रकट हुआ, तो उसने उन्हें डांटा क्योंकि उन्होंने उन लोगों पर विश्वास नहीं किया जिन्होंने यीशु को जीवित होने के बाद देखा था” (मरकुस 16:14)। कोई पहलू नहीं है कि उन्होंने रविवार को एक पवित्र दिन के रूप में गिना। नए नियम में केवल आठ पद सप्ताह के पहले दिन का जिक्र करते हैं, और उनमें से किसी में भी वर्णन नहीं है कि रविवार पवित्र दिन है।
6. क्या कुलुस्सियों 2:14-17 सातवें दिन के विश्रामदिन को ख़ारिज नहीं करता है?
उत्तर: बिल्कुल भी नहीं। यह केवल वार्षिक, विधिक सब्तों को संदर्भित करता है जो “आने वाली चीजों की छाया” थे और सातवें दिन के सब्त के लिए नहीं। प्राचीन इस्राएल में सात साल के पवित्र दिन या त्यौहार थे जिन्हें सब्त कहा जाता था (लैव्यवस्था 23 देखें)। ये “परमेश्वर के सब्त के अलावा” (लैव्यवस्था 23:38), या सातवें दिन सब्त के अतिरिक्त थे। उनका मुख्य महत्व भविष्य में आने वाले समय की ओर या क्रूस की ओर इशारा करना था, और क्रूस पर समाप्त हुआ। परमश्वेर का सातवाँ दिन सब्त आदम के पाप करने से पहले बनाया गया था, और इसलिए पाप से उद्धार के बारे में कुछ भी नहीं दिखा सकता था। यही कारण है कि कुलुस्सियों 2 अलग-अलग सब्त और विशेष रूप से उन सब्तों के बारे में उल्लेख करते हैं जो “छाया” थे।
7. रोमियों 14:5 के अनुसार, जिस दिन को हम मानते हैं क्या वह हमारे व्यक्तिगत राय का विषय नहीं हैं?
उत्तर: ध्यान दें कि पूरा अध्याय “संदिग्ध चीजों पर” (पद 1)के लिए एक दूसरे का न्याय करने पर है (पद 4, 10, 13)। यहाँ सातवां दिन सब्त मुद्दा नहीं है, जो नतिैक व्यवस्था का हिस्सा है, लेकिन अन्य धार्मिक दिनों के बारे में है। गैर-यहूदी मसीहियों द्वारा संस्कार सम्बन्धी नियमों का पालन न किये जाने के कारण, यहूदी-मसीही, उनका न्याय कर रहे थे। पौलुस बस यह कह रहें हैं कि, “एक दूसरे का न्याय मत करो। वे संस्कार सम्बन्धी नियम अब लागू नहीं है।”
सारांश पत्र
1. यीशु ने (1)
_____ रविवार को एक पवित्र दिन के रूप में माना।
_____ सातवें दिन सब्त को पवित्र रखा।
_____ हर दूसरे दिन को पवित्र रखा।
2. परमेश्वर का दिन है (1)
_____ रविवार, सप्ताह का पहला दिन।
_____ सब्त, सप्ताह का सातवां दिन।
_____ किसी भी दिन जिसे हम परमेश्वर को समर्पित करते हैं।
3. सब्त का निर्माण किया गया था (1)
_____ केवल यहूदियों के लिए।
_____ सृष्टि के समय, परमेश्वर द्वारा सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए ।
_____ केवल उन लोगों के लिए जो पुराने नियम के समय में रहते थे।
4. सब्त को रविवार में परिवर्तन किस के द्वारा किया गया (1)
_____ मसीह।
_____ प्रेरितों।
_____ गुमराह लोगों।
5. परमेश्वर की व्यवस्था, जिसमें सब्त शामिल है, (1)
_____ आज प्रभावी नहीं है।
_____ कभी नहीं बदल सकता है। यह अभी भी बाध्यकारी है।.
_____ मसीह की मृत्यु पर समाप्त हुआ।
6. नए नियम कि कलीसिया में गैर-यहूदी मसीही और प्रेरित ( (1)
_____ रविवार को एक पवित्र दिन के रूप में मानते थे।
_____ सिखाया कि यदि आप ईमानदार हैं तो किसी भी दिन को पवित्र दिन के रूप में मनाना ठीक रहेगा।
_____ सब्त पालन किया।
7. सब्त (1)
_____ सलीब पर समाप्त हुआ।
_____ यीशु के दूसरे आगमन पर समाप्त होगा।
_____ परमेश्वर के नए अनन्त साम्राज्य में सारे युगों के उद्धार पाए हुओं के द्वारा रखा जाएगा।
8. चूंकि सब्त परमेश्वर की व्यवस्था का हिस्सा है, इसलिए सब्त तोड़ना (1)
_____ मसीह की मृत्यु के बाद से यह चिंतित होने का विषय नहीं है ।
_____ एक पाप है क्योंकि यह पवित्र चीज़ों को रौंद देता है।
_____ आज इसका कोई महत्व नहीं है।.
9. जो लोग वास्तव में यीशु से प्रेम करते हैं और उसका अनुसरण करते है वे (1)
_____ यीशु के समान ही सब्त को मानेंगे।
_____ हर दूसरे दिन को पवित्र रखें।
_____ रविवार को एक पवित्र दिन के रूप में मानेंगे।
10. सब्त है (1)
_____ रविवार, सप्ताह का पहला दिन।
_____ शनिवार, सप्ताह का सातवाँ दिन (शुक्रवार रात से शनिवार की रात)।
_____ किसी भी दिन को हम परमेश्वर को समर्पित कर सकते हैं।
11. रविवार-पालन (1)
_____ मनुष्यों का आविष्कार है जिसके बारे में बाइबल में भविष्यवाणी की गई थी।
_____ आज के लिए परमेश्वर की योजना है।
_____ मसीह के पुनरुत्थान पर उभरा और पेन्तेकुस्त में स्वीकृत किया गया।
12. सब्त-पालन है (1)
_____ विधिवादिता का चिन्ह।
_____ केवल यहूदियों के लिए महत्वपूर्ण है।
_____ ईश्वर की सृष्टि और उद्धार का दोहरा संकेत।
13. मैं यीशु के सब्त के पालन के उदाहरण का अनुसरण करने को तैयार हूँ।
_____ हाँ
_____ नहीं